दिल्ली की सीमा पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का हल्ला बोल जारी है। किसान पीछे हटने को तैयार नहीं है। किसान आंदोलन को एक महीना हो गया है लेकिन न सरकार ने उनकी मांगे मानी और ना ही किसान पीछे हटे। सरकार और किसानों के बीच कई बार बातचीत भी हुई लेकिन कोई हल नहीं निकला। वहीं इस बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बड़ा बयान जारी किया है जिससे साफ है कि किसान पीछे नहीं हटेंगे और अपनी मांगों को लेकर अड़े रहेंगे चाहे कोई भी मुश्किल आए।
जी हां भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार अड़ियल रवैया छोड़े, क्योंकि सशर्त बातचीत का कोई मतलब नहीं है। उनका कहना है कि अगर कानून वापस नहीं लिए जाते हैं तो आंदोलनकारी किसान भी घर वापस नहीं जाएंगे। इस मुद्दे पर उनसे मीडिया ने कई सवाल किए। उनसे पूछा गया कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का कोई नतीजा नहीं निकला है। आगे की राह क्या होगी? इस पर उन्होंने कहा कि सरकार हमसे बातचीत करना चाहती है और हमसे तारीख और मुद्दों के बारे में पूछ रही है। हमने 29 दिसंबर को बातचीत का प्रस्ताव दिया है। अब सरकार को तय करना है कि वह हमें कब बातचीत के लिए बुलाती है। हमारा कहना है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए तौर-तरीके और न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए गारंटी का मुद्दा सरकार के साथ बातचीत के एजेंडे में शामिल होना चाहिए।
राकेश टिकैत ने कहा कि हमने साफ कहा है कि सरकार अड़ियल रवैया छोड़े, क्योंकि सशर्त बातचीत का कोई मतलब नहीं है। कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं।