वडोदरा: कोरोना को हराने के लिए कई कोरोना योद्धा दिन-रात लगकर काम में जुटे हैं। हर किसी ने ऐसा समर्पण दिखाया है कि उनको सलाम करने के लिए खुद हाथ उठने लगते हैं। ऐसी ही एक कोरोना वारियर हैं। वडोतरा रिद्धि चावड़ा 4 महीने के नवजात बच्ची को लेकर अपनी ड्यूटी पर डटी हैं। रिद्धि 108 इमर्जेंसी ऐम्बुलेंस सर्विस में बतौर मेडिकल टेक्निशियन 6 महीने के मैटरनिटी लीव ले सकती थीं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। मजबूत इरादों वाली रिद्धि ने ड्यूटी पर वापस आने का इंतजार नहीं किया। उन्होंने अपनी छुट्टी को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला लिया।
उन्होंने बताया कि वह कई बार वे ऐंबुलेंस में ही अपने चार महीने के बच्चे को नहलाती हैं। उन्होंने कहा कि जब कोई इमर्जेंसी नहीं होती है, तो हमारी ऐंबुलेंस पदरा के सरकारी अस्पताल के पास तैनात रहती है। अगर मेरा बच्चा भूख के लिए रोता है, तो मेरे परिवार का एक सदस्य उसे मेरे पास लाता है। मदर्स डे पर इस मां की अब हर कोई तारीफ कर रहा है। चावड़ा ने कहा, यहां तक कि उसके पति भी घातक वायरस से संक्रमित होने से डरते नहीं हैं। चावड़ा पिछले पांच सालों से GVK इमर्जेंसी मैनेजमेंट एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट 108 के साथ काम कर रहीं हैं।
कोरोना वायरस जैसी महामारी के बाद से ही यह पैरामेडिक मेडिकल इमर्जेंसी से निपटने में आगे रहा है। यहां कोरोना वायरस के संदिग्धों सहित 30 इमर्जेंसी केसों को अब तक हैंडेल किया गया है। पडरा में और उसके आसपास उनकी ऐंबुलेंस चलती है, जो अक्सर कोरोना वायरस के संदिग्धों को शहर स्थित अस्पतालों में ले जाती है। वडोदरा से नर्सिंग की पढ़ाई करने वाले रिद्धि के पति हितेश ने बताया कि मैं व्यक्तिगत रूप से अपने बच्चे को छूने या परिवार के किसी भी सदस्य से मिलने से पहले सभी सावधानियां बरतता हूं।