बरेली : कोरोना की जंग में हर कोई अपना-अपना योगदान दे रहा है, लेकिन जो सबसे आगे खड़े हैं, वो हैं कोरोना वॉरियर्स। इनमें कई ऐसे हैं, जो कई दिनों से अपने घर तक नहीं गए हैं. आम लोगों को कोई समस्या ना हो, इसके लिए कोरोना वॉरियर्स कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे। इन कोरोना योद्धाओं के जज्बे का अंदाजा इस बात से लगाइए कि 65 साल का यह शख्स 42 दिनों से घर नहीं गया है। यूपी के संभल जिले के रहने वाले बाबू भारती ने एंबुलेंस को ही अपना घर बना लिया है।
कभी कंटेनमेंट जोन, कभी हॉट स्पॉट
पिछले 23 मार्च से हर रोज कभी कंटेनमेंट जोन तो कभी हॉट स्पॉट, लगे हैं अपनी जिंदगी को खतरे में डालकर दूसरों की जिंदगी बचाने में। कहते हैं कि अब जब कोरोना को हरा देंगे, तभी जाएंगे घर। भारती कहते हैं कि मैं एम्बुलेंस में सोता हूं, जब किसी खेत में ट्यूबवेल लगा दिख जाता है तो नहा लेता हूं। जिस अस्पताल में काम करता हूं, वही मेरे खाने की व्यवस्था करता है। मैंने भी कोरोनो वायरस के खिलाफ लड़ाई जीतने के बाद ही घर जाने का फैसला किया है।’
700 लोगों को हॉस्पिटल पहुंचाया अस्पताल
संभल में कोविड-19 के खिलाफ रैपिड ऐक्शन टीम के प्रभारी डॉ. नीरज शर्मा ने बताया कि जिले में कोरोना का पहला केस मिलने के समय से ही भारती टीम का हिस्सा थे। उन्होंने कहा कि हम लगभग 1,100 कोरोना संदिग्ध मरीजों को जिला अस्पताल में टेस्ट के लिए लाए हैं और उनमें से कम से कम 700 लोगों को भारती ने पहुंचाया है। वह दिन और रात किसी भी समय अपनी एम्बुलेंस के साथ तैयार रहते हैं।’ भारती 17,000 रुपये प्रति महीने की सैलरी पर जिला अस्पताल के साथ अनुबंध पर काम करती हैं।