सरहद पर खुद को मिटा देने वाले भारत मां के लाल अपनी
चार दिन पहले कश्मीर के नौगांव में नायक जीत बहादुर ने आतंकियों का बहादुरी से सामना किया। इस मुठभेड़ के दौरान जीत सिंह गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे। आतकियों की एक गोली उनके सिर मे भी जा लगी। ऐसे मे राष्ट्रीय रायफल में तैनात गोरखा रेजीमेंट के नायक जीत बहादुर थापा को दिल्ली के राष्ट्रीय रायफल अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन कोमा में जा चुके जीत बहादुर तमाम कोशिशों के बावजूद भी बचाया न जा सका
। आज उनकी पार्थिव देह देहरादून के बंजारावाला स्थित उनके आवास पर पहुंची। रणबाकुरे जीत बाहादुर को आखिरी सलाम करने आम आदमी से लेकर खास लोग उमड़ पड़े। सूबे के सीएम त्रिवेंद्र रावत, देहरादून के मेयर विनोद चमोली, पूर्व कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल समेत कई प्रशासनिक अधिकारियों ने भारत मां के लाल नायक जीत बहादुर को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
गौरतलब है कि शहीद नायक जीत बहादुर की मूल तैैनाती 41 गोरखा राइफल्स में थी। लेकिन आजकल वे राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे। 37 साल के जीत अपने अदम्य साहस और बहादुरी के लिए जाने जाते थे। उनकी शहादत से जहां मुल्क को गर्व है वहीं उनके असमय चले जाने से उनके परिवार के साथ-साथ पूरा देहरादून गमगीन हो गया है।
khabaruttarakhand.com का नायक जीत बहादुर को उनकी बहादुरी के लिए आखिरी सलाम। इस वादे के साथ कि हम तुम्हें कभी भूल नहीं पांएगे।