अमरनाथ तीर्थयात्रियों की जिस बस पर सोमवार रात कश्मीर में आतंकियों ने हमला किया उसके ड्राइवर सलीम शेख की सूझबूझ से 50 तीर्थयात्रियों की जान बच गई। सलीम ने बिना रोके बस को दो किलोमीटर भगा कर नजदीक के सैन्य कैंप पहुंचाई। अगर वह बस को सैन्य कैंप नहीं ले जाता तो आतंकियों की अंधाधुंध गोलीबारी से शायद ही कोई यात्री बच पाता। इस हमले में छह महिलाओं और पुरुष यात्री की मौत हो गई थी।
सलीम को पांच लाख रुपये पुरस्कार
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने ड्राइवर सलीम के साहस की तारीफ की। उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार केंद्र से उसे बहादुरी पुरस्कार देने की सिफारिश करेगी। जम्मू-कश्मीर सरकार और अमरनाथ श्रइन बोर्ड ने सलीम को पांच लाख रुपये पुरस्कार देने की घोषणा की है।
बस को कब्जे में करना चाहते थे
खुफिया सूत्रों के अनुसार हमले में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन ने मिलकर इस आतंकी हमले को अंजाम दिया। लश्कर का आतंकी इस्माइल हमले मास्टरमाइंड है। उसने दो कश्मीरी और दो पाकिस्तानी आतंकियों के साथ मिलकर साजिश रची। आतंकी बस को श्रीनगर-जम्मू हाइवे पर अनंतनाग जिले के खानबल इलाके में अपने कब्जे में लेना चाहते थे। उनका इरादा बस में सवार सभी यात्रियों की जान लेने का था।
परिजनों को मिलेंगे 23 लाख मुआवजा
आतंकी हमले में मारे गए लोगों के परिजनों को 23-23 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर मिलेंगे। केंद्र सरकार ने मारे गए अमरनाथ तीर्थयात्रियों के परिजनों को सात-सात लाख रुपये और घायलों को एक-एक लाख रुपये देने की घोषणा की है। गुजरात सरकार ने मृतकों के आश्रितों को 10-10 लाख रुपये और घायलों को 2-2 लाख की सहायता का एलान किया है। वहीं जम्मू-कश्मीर सरकार ने मृतकों के परिजनों को छह-छह लाख रुपये और घायलों को 2-2 लाख मुआवजा घोषित किया है।