देहरादून: पौड़ी पुलिस ने आज पिछले दिनों कोटद्वार में की गई शेखर ढौंडियाल की हत्या की कहानी पुलिस चाहे जो भी बताये, लेकिन पूरी कहानी में बिलेन पुलिस ही नजर आ रही है। हालांकि हत्याकांड को लेकर पुलिस कह रही है कि बदमाश शेखर ढौंडियाल को मारना नहीं चाहते थे। उनका मकसद केबल ऑपरेटर के दफ्तर में फायर कर दहशत फैलाना था, जिससे आगे चलकर वसूली का रास्ता साफ होता। पर ये कहानी कई सवाल भी खड़े करती है ?
मौत मात्र एक संयोग
शेखर ढौंडियाल की मौत मात्र एक संयोग है। पुलिस के अनुसार हुआ यूँ कि गोली चलने के वक्त शेखर ऑफिस से बाहर आ गए और गोली उनको लगी गई। लेकिन, इसके बहाने जो सवाल खड़े हुए हैं। उनका जवाब तो पुलिस को देना ही होगा और ये भी तय करना होगा कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है ?
बड़ा सवाल, जेल से ऑपरेट हो रहा गैंग
सबसे बड़ा और पहला सवाल तो यही है कि दो कुख्यात अपराधी जेल में बंद हैं। एक देहरादून और दूसरा पौड़ी जेल में बंद है। दोनों ने मिलकर इस पूरे कांड की प्लानिंग की और फिर फायर झोंकने की घटना को अपने गुर्गों से अंजाम दिलाया। सवाल ये है कि आखिर जेल से इतना बड़ा गैंग पोरेट हो रहा है और पुलिस को इसका पता तक नहीं चला।
नहीं जागी पुलिस
दूसरा सवाल ये है कि करीब डेढ़-दो साल पहले कोटद्वार में अधिवक्ता रघुवंशी को भी दिनदहाडे गोलियों से भून दिया गया था। उसमें भी जेल में बंद रुपेश त्यागी का नाम सामने आया था। उसका नाम सामने आने के बाद भी पुलिस ने रुपेश त्यागी के मिलने-जुलने वालों पर ज्यादा सख्ती नहीं बरती।
कहीं जेल में फोन तो नहीं चल रहे
एक सवाल ये भी है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि जेल से रुपेश त्यागी और नरेंद्र बाल्मीकि फोन से ही पूरा गैंग आॅपरेट चला रहे हैं। इससे पहले भी सोशल मीडिया में जेल से फेसबुक आईडी और मोबाइल चलाने के मामले सामने आ चुके हैं। पौड़ी जेल में इस तरह रके मामले पहले भी हुए हैं। अब देखना ये होगा कि पुलिस पूरे मामले में क्या करती है। जेलों से गैंग आॅपरेट करना कोई आम बात नहीं है। ये जेल की आंतरिक सुरक्षा का भी मामला है।