काशीपुर- सुनकर कितना अजीब लग रहा हेना कि उसी बेटे ने पिता को मुखाग्नि दी जिसने उसे मारने के लिए जहर खिलाया था. लेकिन कहते हैं न जाको राखे सांईया मार सके न कोई…पूरे परिवार को जहर खिलाने के बाद पिता-माता औऱ बहनों की मौत हो गई. जबकि रुद्र की जान बच गई.
13 वर्ष के रुद्र के लिए सोमवार का दिन जिंदगी का सबसे पीड़ादायक दिन साबित हुआ। नन्हे रुद्र ने पिता, मां और दो बहनों की चिताओं को एक साथ अग्नि दी। चार चिताओं से लपटें उठती देख अंतिम यात्रा में शामिल हर शख्स की आंखें नम हो गईं। करीब दो वर्ष पहले कानपुर छोड़कर परिवार के साथ ग्राम हरियावाला में आकर बसे अंशुमान सिंह ने दो जून की दोपहर कर्ज से छुटकारा पाने के लिए पत्नी और बच्चों की जान लेने के लिए उनके मुंह में सल्फास की गोलियां ठूंसकर खुद भी जहर खा लिया था। पिता और बड़ी बेटी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि मां-बेटी ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। परिवार में अब छोटी बेटी आर्या और बेटा रुद्र ही बचे हैं।
जौनपुर और मिर्जापुर से मृतक का साला रवि सिंह, साढ़ू अर्जुन कुमार और उनके परिचित अवधेश कुमार, वीरेंद्र सिंह एवं इंद्र सिंह सोमवार सुबह हरियावाला पहुंचे। ग्राम प्रधान राजकुमार, गृहस्वामिनी का पुत्र अतुल यादव आदि उन्हें लेकर पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। यहां से ग्रामीण उन्हें वाहन से लेकर श्मशानघाट पहुंचे। गांव वालों ने ही चारों के कफन और अंतिम संस्कार की सामग्री का प्रबंध किया।
दोपहर बाद रुद्र ने अपने पिता अंशुमान सिंह, मां सरिता और दोनों बहनों दिव्यांशी व हिमांशी की चिताओं को मुखाग्नि दी। अपनों को विदाकर रुद्र ने श्रृद्धांजलि देने के लिए हाथ जोड़े तो सभी की आंखें नम हो गई। भावुक कर देने वाला यह दृश्य रुद्र के हृदय पर कितना भारी पड़ा होगा, इसका अंदाजा सहज लगा पाना मुश्किल है।
काशीपुर पहुंचे अंशुमान के साले रवि ने बताया कि कानपुर और रायबरेली में रहते उसे अंशुमान द्वारा लिए गए कर्ज के कारण काफी परेशानियां उठानी पड़ीं। इस कारण वह अंशुमान से संपर्क नहीं रखता था। बताया कि दो जून को जब कुंडा थाना प्रभारी सुधीर कुमार ने रवि को मोबाइल पर हादसे की जानकारी दी तो उसने किसी अंशुमान को नहीं जानने की बात कही थी। इस पर एसओ ने मृतक के बेटे रुद्र से भी उसकी बात कराई थी।
एसओ ने उसे पूरी घटना के बारे में जानकारी दी, लेकिन उसे इस बात पर भरोसा नहीं हुआ। रवि ने बताया कि इसके बाद भी उसके पास फोन पर फोन आते रहे जिस पर उसे लगा कि किसी कर्जदार ने उसके जीजा और भांजे को बंधक बना लिया है और बंधक बनाने वाले ही फोन पर झूठी सूचना देकर उसे काशीपुर बुलाने का प्रपंच रच रहे हैं।
सल्फास से मरी अंशुमान सिंह की दो बेटियों के अंतिम संस्कार को लेकर संशय की स्थिति बनी रही। रवि और उसके जीजा का कहना था कि उनके यहां किशोरियों के शव चलते पानी में प्रवाहित करने की परंपरा है। आते ही उन्होंने दोनों भांजियों का श्मशानघाट पर अंतिम संस्कार कराने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि वे दोनों भांजियों के शवों को हरिद्वार और गढ़ मुक्तेश्वर ले जाकर जल प्रवाह कर उनका संस्कार कर देंगे। पुलिस ने कहा कि शवों को प्रवाहित करने पर रोक है, जिसके बाद रवि ने अपने गांव के पंडित से जानकारी ली।
पंडित ने बताया कि अकाल मृत्यु होने की स्थिति में किशोरियों के शवों को भी मुखाग्नि दी जा सकती है। इसके बाद दोनों किशोरियों की अंत्येष्टि कर दी गई। वहीं, इससे पूर्व अर्थियों का सामान मंगाए जाने के बावजूद पार्थिव शरीरों को स्नान कराने वाले की व्यवस्था नहीं हो सकी, जिसके चलते अर्थियों का सामान धरा का धरा ही रह गया।
माता-पिता और दो बहनों की मौत के बाद रुद्रप्रताप सिंह उर्फ गोलू और उसकी बहन आर्या सहमे हुए हैं। सुमन देवी के घर में किराए पर रहते हुए उसके परिजनों से बच्चे काफी घुल-मिल गए थे। दो दिन से बच्चे सुमन के परिवार के साथ ही रहने की रट लगाए थे। मृतकों के अंतिम संस्कार के बाद मामा रवि सिंह ने बच्चों को साथ ले जाने की इच्छा जताई। इस पर ग्राम प्रधान राजकुमार, अतुल यादव आदि ने बच्चों को समझाया। ग्रामीणों के समझाने पर बच्चे बमुश्किल मामा के साथ जाने को राजी हुए। इसपर कुंडा थाना प्रभारी सुधीर कुमार ने दोनों को उनके मामा की सुपुर्द कर दिया। ग्रामीणों ने चंदे से एकत्र की गई 22 हजार रुपये की राशि रवि को सौंपी।