देहरादून- परिवहन महकमे को किसी की जान की कोई परवाह नहीं है। यहां तक कि उन अतिथियों की जान को भी जोखिम में डालने से परिवहन महकमा नहीं घबरा रहा है जो दूर-दूर से चार-धाम यात्रा के लिए उत्तराखंड आते हैं। ये संगीन आरोप लगाए है देहरादून में सिटी बस सेवा महासंघ के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल ने।
देहरादून परिवहन महकमें की पोल पट्टी खोलते हुए डंडरियाल ने कहा कि जिन बसों को हिमाचल सरकार ने मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कबाड़ घोषित कर नीलाम कर दिया गया था। ऐसी नीलाम हुई कबाड़ी से खरीदी गयी कंडम बसों को देहरादून में फिटनेस फिट का सार्टिफिकेट दिया गया। इतना ही नहीं उन्हें चार धाम यात्रा जैसे पहाड़ी रूट पर बेहिचक इस्तमाल किया गया।
डंडरियाल ने कहा कि 15 साल पुरानी कंडम हो चुकी बसों को किस नियम के तहत फिटनेस सार्टिफििकेट दिया गया और उनका रजिस्ट्रेशन कर उन्हें नया नंबर दिया गया। उन्होंने कहा कि अगर मेहमानों के साथ चार-धाम रूट पर ऐसी खटारा रद्दी बसों से कोई हादसा हो जाता है तो उसका जिम्मेदार किसे माना जाए। डंडरियाल ने सीधे अपने आरोपों के कटघरे में देहरादून आरटीओ को खड़ा किया है।
महासंघ के अध्यक्ष ने प्रशासन से मामले की जांच कर कार्यवाही करने की मांग करते हुए चेतवानी भी दी है कि अगर जांच में हील-हवाली बरती गई तो वे मामले को अदालत लेकर जांएगे।
वाकई में अगर ड़डरियाल के आरोप में दम है तो मामला संगीन है। आखिर जिस अतिथि को हम देवता मानते आए हैं उस अतिथि को कबाड़ हो चुकी बस में बिठा कर मंदिरों के दर्शन वो भी टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर करना कितना जायज है। जरूर कुछ-कुछ तो गड़बड़ है वरना आरटीओ जैसे बड़े अधिकारी को कोई अदालत में घसीटने की चेतावनी कैसे दे सकता है।