दिल्ली/देहरादून। मंगलवार की शाम जब रोहित शेखर के निधन की खबर आई तो सहसा किसी को यकीन ही नहीं हुआ। जैसे खबर पुष्ट होती गई आंखों में रोहित की जिंदगी से जुड़ी यादें ताजा होती गईं। रोहित शेखर के संघर्ष की कहानी सभी की जुबान पर थी।
रोहित शेखर तिवारी एक ऐसे शख्स थे जिन्होंने अपना जैविक पिता पाने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी थी। राजनीति के अजात शत्रु कहे जाने वाले एनडी तिवारी और रोहित की मां के बीच एक्स्ट्रा मैराइटल अफेयर से पैदा हुए रोहित शेखर तिवारी के पास समाज से छुप छुपाकर जीवन जीने की कई वजहें थीं लेकिन रोहित ने ऐसा नहीं किया। रोहित शेखर ने समाज की धारा के विपरीत जाकर अपने पिता को पाने की लड़ाई लड़ी।
2008 से 2014 तक चले मुकदमें में रोहित शेखर के पास ऐसे तथ्य थे जिन्होंने राजनीति के अजातशत्रु एनडी तिवारी को भी खामोश कर दिया। डीएनए मैच होने के बाद एनडी तिवारी के पास कोई चारा नहीं था कि वो उज्जवला को अपनी पत्नी और रोहित को अपना बेटा ने माने। 2014 में मुकदमा जीतने के बाद रोहित शेखर ने कहा था कि, शायद मैं पहला व्यक्ति हूं जिसने खुद को नाजाएज बेटा साबित करने की लड़ाई लड़ी।
2014 में एनडी तिवारी के जैविक बेटे साबित होने के बाद से ही रोहित ने अपने जैविक पिता का ध्यान एक बेटे की ही तरह रखा। लगभग एक सालों तक बीमार एनडी तिवारी को लेकर रोहित अपनी मां उज्जवला के साथ दिल्ली के मैक्स अस्पताल में रहे। एनडी तिवारी की देखभाल करते रहे। रोहित की शादी भी इसी दौरान पिछले साल हुई। अपनी पत्नी के साथ वो अस्पताल में ही एनडी तिवारी का आशीर्वाद लेने गए। रोहित के लिए जीवन का संघर्ष कभी खत्म नहीं हुआ। बचपन में पिता के साए से दूर रहे तो जवानी में पिता को पाने की कानूनी लड़ाई लड़ते रहे। पिता जब मिले तो महज चाल सालों तक ही उनका साथ रहा।
रोहित शेखर राजनीति में सफल नहीं हो पाए थे। हालांकि अखिलेश यादव की सरकार में उन्हें उत्तर प्रदेश में परिवहन विभाग का सलाहकार नियुक्त किया गया था और राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया था। रोहित के लिए सियासी जमीन करने के मकसद से एनडी तिवारी ने बीजेपी से भी संपर्क साधा था लेकिन बात कुछ खास बनी नहीं। पिछले कुछ दिनों से रोहित के कांग्रेस में जाने की चर्चाएं चल रहीं थीं।
हालांकि रोहित दिल के मरीज थे और हाल ही में उनकी एंजियोप्लास्टी भी हुई थी लेकिन इसके बावजूद ये मानना मुश्किल है कि रोहित अब नहीं रहे। रोहित को हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि।