साल 2019 का आखिरी सूर्यग्रहण शुरू हो गया है। सूर्यग्रहण को नग्न आंखों से देखने पर सूर्य का तेज उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है। ग्रहण देखने के लिए केवल ऐसे चश्मे उपयोग किए जाने चाहिए, जो आईएसओ 12312-2 सर्टिफाइड हों। यह सुझाव अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दिया है। हालांकि वेल्डिंग के दौरान उपयोग होने वाले चश्मे या पिनहोल प्रोजेक्टर के जरिये भी सूर्यग्रहण देखा जा सकता है। सूर्यग्रहण के दौरान खाना, पीना और अपने रोजमर्रा के काम करना पूरी तरह सुरक्षित है।
एरीज के वैज्ञानिक शशिभूषण पांडे ने बताया कि एन्यूलर सूर्यग्रहण की विशेषता यह होती है कि इसमें चंद्रमा सूर्य की परिधि के अलावा शेष भाग को ढक लेता है, जिससे केवल इसकी परिधि दिखाई देती है, जो एक आग के छल्ले की तरह नजर आती है, इसीलिए इस ग्रहण को रिंग ऑफ फायर नाम दिया गया है।
भारत में इससे पहले कुंडलाकार सूर्यग्रहण 15 जनवरी 2010 को देखा गया था और अगला 21 जून 2020 को दिखाई देगा। खास बात है कि अगले 100 साल में भारतीयों को महज छह सूर्यग्रहण ही देखने को मिलेंगे। भारत में वर्ष 2020, 2031, 2034, 2064, 2085 तथा 2114 में सूर्यग्रहण दिखाई देंगे।