देहरादून : विधान सभा सभा कक्ष में राजस्व से सम्बन्धित बैठक आयोजित की. जिसमे में न्यायमूर्ति(से.नि.)राजेश टंडन, अध्यक्ष, राज्य विधि आयोग ने बताया कि राजस्व संहिता बन जाने से राजस्व से सम्बन्धित अधिनियम, कानून एक संहिता में संग्रहित हो जाएगा।
उपराजस्व आयुक्त वीएस नेगी ने अवगत कराया कि अध्यक्ष राजस्व परिषद् द्वारा उत्तराखण्ड राजस्व संहिता एंव राजस्व नियावली ड्राफ्ट बनाये जाने के सम्बन्ध में विचार कर रही है जिसकी प्रतिलिपि कार्यवृत्त के साथ संलग्न है।
अतः अध्यक्ष एंव कमेटी को अगली बैठक में इस सम्बन्ध में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये कहा गया जिससे राजस्व सम्बन्धित एंव अन्य अधिनियम जो उत्तराखण्ड में प्रचलित हैं उनके बारे में अवगत करा सकें। उन्होंने संशोधन सम्बन्धित अन्य अधिनियम भी पेश किये गये, जिन्हें रिकार्ड में रखा गया है जिनकी अगली बैठक में चर्चा की जायेगी।
एडीएम अरविन्द कुमार पाण्डे ने बताया कि जौनसार बावर परगना (जिला देहरादून) राजस्व पदाधिकारियों का (विशेषाधिकार) अधिनियम 1958 एंव जौनसार बावर जमींदारी विनाश और भूमि-व्यवस्था अधिनियम 1956 अभी भी देहरादून में चल रहा है एंव इसके बारे में कोई संशोधन हुआ है अथवा नही इसकी सूचना वह अगली बैठक में देंगे एंव टिहरी गढ़वाल राजस्व पदाधिकारियों का (विशेषाधिकार) अधिनियम,1956 (उ.प्र) इस सम्बन्ध में भी वह अपनी रिपोर्ट अगली सभा में पेश करेंगे। वी0एस0 नेगी उपराजस्व आयुक्त जी द्वारा बंजर भूमी (दावे) अधिनियम,1863 के सम्बन्ध में अवगत कराया गया कि इस अधिनियम से सम्बन्धित कोई दावा/विवाद चमोली, पिथौरागढ़, चम्पावत, हरिद्वार, बागेश्वर, उत्तरकाशी एंव रूद्रप्रयाग जिलो में कोई वाद दायर नहीं हुआ है एंव यह बहुत पुराना अधिनियम है. इसकी उत्तराखण्ड में कोई आवश्यकता नहीं है अतः यह अधिनियम निरसित किया जाये। साथ ही निम्न अधिनियमों की अनुपयोगिता उत्तराखण्ड में देखते हुये इन्हे भी निरसित किया जाये।
निरसन योग्य अधिनियमः-अवद्य उप समझौता अधिनियम 1866, अवद्य सम्पदा अधिनियम 1869, अवध तालुकदार अनुतोष अधिनियम 1870, देहरादून अधिनियम 1871, अवध विधि अधिनियम 1876, अवध के राजा की सम्पदा अधिनियम 1887, अवध के राजा की सम्पदा अधिनियम 1888, अवध के राजा की सम्पदा विधिमान्यकरण अधिनियम।