देहरादून : भर्तियों के आरक्षण रोस्टर में बदलाव से यशपाल आर्य नाराज बताये जा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि उन्होंने इस्तीफे की धमकी दी है। यशपाल आर्य कद्दावर नेता हैं। उन्होंने इस्तीफे की धमकी दी है, ये बड़ी बात है। लेकिन, क्या यशपाल आर्य ने केवल राजनीतिक लाभ के लिए धमकी दी है या वो वास्तव में नाराज हैं। किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इसके बैकग्राउंड को देखना जरूरी होगा।
आर्य की देख-रेख में बना था रोस्टर
दरअसल, आरक्षण रोस्टर के लिए एक समिति बनाई गई थी। समिति ने यशपाल आर्य की देख-रेख में ही काम किया। उन्होंने एक विस्तृत रिपोर्ट भी बनाई थी। उस रिपोर्ट को उन्होंने कैबिनेट को सौंपा था। रिपोर्ट सौंपने के बाद कैबिनेट ने आरक्षण रोस्टर में बदलाव कर दिया और उस पर कैबिनेट ने मुहर भी लगा दी। याशपाल आर्य भी उसी कैबिनेट में मौजूद थे। तब उन्होंने कोई विरोध नहीं किया, लेकिन कैबिनेट समाप्त होने के बाद उन्होंने आरक्षण रोस्टर में बदलाव किये जाने को लेकर कहा था कि बदलाव बर्दास्त नहीं किया जाएगा।
पहले क्यों नहीं उठाए सवाल
इसके बाद हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक संपन्न हुई। कहा जा रहा है कि यशपाल आर्य ने उस बैठक में आरक्षण रोस्टर पर आपत्ति जताई और बदलाव नहीं किये जाने पर इस्तीफा देने की धमकी दे डाली। लेकिन, सवाल ये है कि जब पहले कैबिनेट में आरक्षण रोस्टर के बदलाव को अंतिम रूप दिया गया था। उस पर कैबिनेट ने अपनी मुहर लगाई थी, तब उन्होंने इसका विरोध क्यों नहीं किया ? इससे सवाल खड़े हो रहे हैं कि कर्मचारी और अन्य संगठनों के नाराजगी के बाद याशपाल आर्य ने इस्तीफे की धमकी दी है। इसे राजनीति समझा जाये या फिर सोची-समझी रणनीति।
सीएम के लिए गले की घंटी
आरक्षण रोस्टर पर कैबिनेट की मुहर लगने के बाद और यशपाल आर्य के इस्तीफे की धमकी देने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए ये फैसला गले की घंटी बन गया है। एक ऐसी घंटी जो बजती ही रहेगी। अगर एससी/एसटी के पक्ष में फिर से आरक्षण को बदला जाता है, तो सामान्य और ओबीसी का विरोध झेलना पड़ेगा। अगर कैबिनेट के फैसले पर अडिग रहते हैं, तो आरक्षित वर्ग और यशपाल आर्य की नाराजगी सहनी पड़ेगी। हालांकि उन्होंने अपने विकल्प खुले रखे हैं, जिसकी जानकारी उन्होंने ट्वीट कर दे दी थी। उन्होंने कहा था कि सभी से मिलकर बात की जाएगी, जो जरूरी होगा किया जाएगा।
सामान्य और ओबीसी यशपाल से नाराज
यशपाल आर्य की इस्तीफे की धमकी की खबर सामने आने के बाद उनके खिलाफ सामान्य वर्ग और ओबीसी वर्ग के विभन्न संगठनों का गुस्सा साफ दिख रहा है। सोशल मीडिया में दोनों ही वर्गों ने यशपाल आर्य पर गंभीर सवाल खड़े किये हैं। लोगों का आरोप है कि उनका विरोध किसी जाति/वर्ग से नहीं है। उनका सवाल ये है कि पहली बार सामान्य और ओबीसी को पहले पायदान पर लाया गया है। इसमें बुरा क्या है ? यह भी सवाल किया है कि क्यों समाज को संविधान की शपथ लेने वाला नेता बांटने का प्रयास कर रहा है ? यशपाल आर्य पर प्रदेश को जातियों में बांटने का आरोप भी लगाया गया है।
लंबी चल सकती है लड़ाई
आरक्षण रोस्टर की लड़ाई लंबी चल सकती है। सूत्रों की मानें तो यशपाल आर्य ने इस पर कुछ संगठनों और अपने सलाहकारों के कहने पर इस मामले का विरोध किया है। उनको अगर विरोध करना होता, तो उसी कैबिनेट में कर देते, जिसमें इस निर्णय पर मुहर लगाई थी। बहरहाल आरक्षण रोस्टर की लड़ाई लंबी चल सकती है। एक तरफ जहां यशपाल आर्य ने एससी/एसटी वर्ग को अपने इस्तीफे की धमकी देकर इशारा कर दिया है। वहीं, दूसरी और सामान्य वर्ग और ओबीसी वर्ग के संगठन भी सरकार को रोस्टर में बदलाव को लेकर आंदोलन की चेतावनी दे चुके हैं। इससे लगता है कि ये लड़ाई लंबी खिंच सकती है।
-प्रदीप रावत (रवांल्टा)