बीते दिनों उत्तराखंड में पांच महीने में 12 बाघों की मौत का आंकड़ा सामने आने के बाद हड़कंप मच गया था। जिसके बाद इस मामले में जांच के आदेश दिए गए थे। जिसकी जांच रिपोर्ट अब सामने आ गई है। जिसमें चौंकाने वाली बातें सामने आई है।
बाघों की मौत को लेकर रिपोर्ट आई सामने
उत्तराखंड में इस साल जनवरी से मई तक प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में 12 बाघों की मौत की खबर आने से हड़कंप मच गया था। जिसके बाद इस पर जांच बिठाई गई थी। जांच के बाद अब इसकी रिपोर्ट को तैयार कर लिया गया है। जिसमें बाघों की मौत का कारण सामने आ गया है।
बाघों की मौत के मामलों में सामने आई लापरवाही की बात
बीते पांच महीने में 12 बाघों की मौतों के मामले सामने आए हैं। जिनमें से कुछ मामलों में लापरवाही की बात सामने आई है। जिसक बाद अब कुछ कार्मिकों के विरुद्ध कार्रवाई हो सकती है। जबकि जांच रिपोर्ट में दो बाघों की मौत को संदिग्ध माना गया है।
दो बाघों की मौत संदिग्ध, एक को दिया गया था जहर
जांच रिपोर्ट में दो बाघों की मौत को संदिग्ध होने की सामने आई है। इनमें से एक बाघ को जहर देने की बात सामने आई है। वन मुख्यालय द्वारा जांच रिपोर्ट का गहन अध्ययन किया जा रहा है। जल्द ही इसे शासन को सौंप दिया जाएगा।
कार्बेट टाइगर रिजर्व समेत प्रदेश में हुई बाघों की एक के बाद एक मौत की घटनाओं से प्रदेश में हड़कंप मच गया था। जिसके बाद इस पर संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए गए थे। इस पूरे मामले की जांच वन मुख्यालय ने वन संरक्षक कुमाऊं से कराई गई है।
कुमाऊं के सेंट्रल तराई क्षेत्र में हुई थी सबसे ज्यादा मौतें
बीते पांच महीने में हुई बाघों की मौतों में सबसे ज्यादा मामले कुमाऊं के सेंट्रल तराई क्षेत्र में सामने आए थे। इस साल बाघ की मौत का पहला मामला कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में सामने आया था। जो कि जनवरी महीने में सामने आया था।
उसके बाद दूसरी, तीसरी और चौथी मौत फरवरी में हुई थी। फरवरी में तीन बाघ नैनीताल और रामनगर में मृत पाए गए थे। इसके बाद मार्च में दो बाघ चकराता रेंज हल्द्वानी और रामनगर डिविजन में मृत पाए गए थे।