हल्द्वानी : पंडित नारायण दत्त तिवारी हल्द्वानी के लिए यह कोई नया नाम नहीं है. हल्द्वानी की रग-रग में पंडित नारायण दत्त तिवारी का कोई न कोई रूप और छाप छिपा है. एनडी तिवारी के बाल्यकाल से अंतिम समय तक हल्द्वानी उनके प्रिय स्थानों में एक रहा आखिर आईये पढ़िए.
पत्नी के नाम रखी थी सुशीला तिवारी अस्पताल की नीव
एनडी तिवारी का हल्द्वानी से रहा विशेष लगाव रहा है. आपको बता दें एनडी तिवारी की प्राथमिक शिक्षा हल्द्वानी से शुरू हुई थी. एनडी तिवारी ने 1951-52 में पहला चुनाव यहीं से लड़ा था औऱ नैनीताल सीट से सोशलिस्ट पार्टी के विधायक बने थे. धौलाखेड़ा में माता चन्द्रावती के नाम पर स्कूल की स्थापना की थी और पत्नी के नाम सुशीला तिवारी अस्पताल की नीव भी रखी थी.
1982 में हल्द्वानी मण्डी की स्थापना भी एनडी तिवारी ने की
उनकी खास बता ये भी रही ही जब भी वह हल्द्वानी दौरे में आते थे तो सुशीला तिवारी अस्पताल आकर जरुर हाल-चाल जानते थे. वहीं एचएमटी कारखाने को भी लोग एनडी तिवारी की देन मानते हैं. 1982 में हल्द्वानी मण्डी की स्थापना भी एनडी तिवारी ने की ।
कई बार गए अपने पिता के साथ जेल
राजनीति में धुरंधरों के धुरंधर और वर्तमान में उत्तराखंड के ज्यादातर नेताओं के गुरु रह चुके एनडी तिवारी ने प्रारंभिक शिक्षा हल्द्वानी से की और अपनी राजनीतिक जीवन की शुरूआत भी हल्द्वानी से की. हल्द्वानी के स्वराज आश्रम में छिपकर एनडी तिवारी ने स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन को और तेज किया. कई बार अपने पिताजी पूर्णानंद तिवारी के साथ वह जेल भी गए.
एनडी तिवारी के राजनीतिक जीवन की कड़क शुरुआत
यही नहीं एनडी तिवारी ने न सिर्फ पहाड़ के लोगों को मैदानी इलाकों में विस्थापित होने से रोका बल्कि हल्द्वानी में सुख सुविधाएं मुहैया करा कर पहाड़ के पलायन रोकने में भी विशेष भूमिका निभाई 1952 में देश की आजादी के बाद उत्तर प्रदेश में पहले विधानसभा चुनाव के दौरान एनडी तिवारी सोशलिस्ट पार्टी के MLA के रूप में यहां से चुनाव जीते यह एनडी तिवारी के राजनीतिक जीवन की कड़क शुरुआत थी. उसके बाद एनडी तिवारी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
यशपाल आर्य और इंदिरा को राजनीतिक रूप से स्थापित करने वाले भी थे एनडी तिवारी
एनडी तिवारी 1963 में कांग्रेस में आए जिसके बाद केंद्रीय उद्योग मंत्री रहते एनडी तिवारी ने हल्द्वानी के पास HMT फैक्ट्री की स्थापना की. इसके अलावा हल्द्वानी के आज के कद्दावर नेता यशपाल आर्य और डॉक्टर इंदिरा हृद्येश को भी राजनीतिक रूप से स्थापित करने वाले एनडी तिवारी ही थे. तिवारी ने न सिर्फ पारदर्शी और सुनियोजित विकास से हल्द्वानी का कायाकल्प किया बल्कि उत्तराखंड में मुख्यमंत्रित्व काल में हल्द्वानी शहर के सुनियोजित विकास में उनकी सबसे बड़ी भूमिका रही. यही वजह है कि हल्द्वानी के लोग एनडी तिवारी को आज भी विकास पुरुष के नाम से जानते हैंं.
मेडिकल कॉलेज और कुमाऊ की सबसे बड़ी मंडी यह सब एनडी तिवारी की ही देन
एनडी तिवारी के ज्यादातर रिश्तेदार भी हल्द्वानी और उसके आसपास के इलाकों में रहते हैं इसलिए तिवारी केंद्र की राजनीति से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रित्व काल में रहकर भी हल्द्वानी से विशेष लगाव रखते थे. हल्द्वानी में सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज और कुमाऊ की सबसे बड़ी मंडी यह सब एनडी तिवारी की ही देन है।
एन डी तिवारी का जीवन का सबसे बड़ा गम
2016 में जब एनडी तिवारी हल्द्वानी मैं अपने परिवार सहित पहुंचे थे तो उन्होंने अपने जीवन में सबसे बड़े गम की बात सार्वजनिक की थी. एनडी तिवारी का कहना था कि वह भारत के प्रधानमंत्री बन सकते थे लेकिन 1992 में नैनीताल लोकसभा से हार मिलने की वजह से वह प्रधानमंत्री नहीं बन पाए और उनके हारने के सबसे बड़ी वजह थी फ़िल्म स्टार दिलीप कुमार जिनकी बहेड़ी में हुई सभा में उन्होंने मुस्लिम वोटरों के बीच अपने आप को युसूफ खान मानने से इन्कार कर दिया. यही वजह थी कांग्रेस को मुस्लिम वोट नहीं पड़े और एनडी तिवारी चुनाव हार गए।