चमियाला(हर्षमणि उनियाल)- जिस प्रधानमंत्री आवास योजना का ढोल सरकार बजा रही है उसकी हकीकत देखनी हो तो बेलेश्वर गांव की गरीब और विधवा महिला कुशा देवी से पूछिए। गरीबों के लिए बताई जा रही आवास योजना की असलियत ये है कि गरीब को बैंक दुत्कार रहे हैं। उससे ऐसे-ऐसे सवालात किए जा रहे हैं जिनको सिर्फ सरकारी नौकरी पेशा सख्स ही दे सकता है।
जाहिर सी बात है हजूर कि, अगर आवास का जरूरत मंद सरकारी नौकरी पेशा हो तो वो गरीबों के लिए बनाई गई प्रधानमंत्री आवास योजना का सहारा ही क्यों लेगा। बहरहाल जरा टिहरी जिले कि चमियाला नगर पंचायत में शामिल हुए बेलेश्वर गांव की गरीब महिला कुशा देवी की सुनिए-
कुशा देवी की माने तो उनका गांव के नगर पंचायत में शामिल होने के बाद उसकी माली हालत देखते हुए नगर पंचायत ने उसको प्रधानमंत्री आवास योजना में शामिल कर लिया। सर्वे करने वालों नें महिला को जानकारी दी कि उन्हें मकान बनाने के लिए 6 लाख रुपए मिलेंगे जिसमें 2 लाख रुपए की सब्सिडी होगी।
यह सुनकर कुशा देवी सरकार की इस योजना का गुणगान करने लगी। उसे लगा कि वाकई में उसके अच्छे दिन आ गए हैं। लिहाजा कुशा देवी ने योजना पर भरोसा किया और अपने परिचितों से उधार लेकर और अपने बेटे की शादी के लिए जोड़ी गई रकम के साथ मकान शुरू करवा दिया ताकि नवंबर माह में वो अपने इकलौते बेटे की शादी सुकून से करवा सके और नये घर में नई बहु के साथ अच्छे दिनों का आनन्द ले सके।
लेकिन अभी उधार की रकम से बनने वाले मकान का काम अभी पूरा भी नहीं हुआ था कि उसके पास स्टेट बैंक चमियाला शाखा से एक पत्र आया। वह अनपढ़ थी लिहाजा दौड़ कर बैंक कर्मियों से मिलने बैंक जा पहुंची। उसने सोचा कि उसे प्रधान मंत्री आवास योजना का पैसा लेने बुलाया जा रहा है। लेकिन बैंक पहुंचते ही बैंक कर्मियों का बर्ताव और उनके तमाम सवालातों से उसके पैरों तले जमीन खिसक गई।
कुशा देवी की माने तो उससे तरह तरह के कागज़ और आमदनी के स्रोत के बारे में पूछा जाने लगा। ऐसे में कुशा देवी अर्श से फर्श पर आ गई। कुशा कहती हैं अगर आमदनी का कोई पक्का स्रोत होता तो वो गरीब ही क्यों होती? जब वह गरीब है तभी तो नगर पंचायत ने उसका चयन पीएम आवास योजना के लिए किया। कुशा गढ़वाली बोली में कहती हैं,”यह योजना गरीबों को बेवकूफ बनाने के लिए बनाई गई है”
बहरहाल पीएम आवास योजना के झांसे में आई कुशा देवी बुरी तरह टूट गई है। जहां एक ओर मकान की फिनिशिंग रुक गई है वहीं लड़के की शादी भी बिना पैसों के अटक गई है। कर्जदार होने के साथ-साथ जग हंसाई भी हो गई है।
उधर नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी वीरेंद्र पंवार की माने तो उन्होंने जिलाधिकारी टिहरी को पीएम आवास योजना के तहत बैंकों के इस रवैए के बारे में मौखिक जानकारी दी है। पता नहीं साहब की बात कितनी सच्ची है ये तो वहीं जाने।
बहरहाल पीएम आवास योजना के तहत कुशा देवी की फजीहत साबित कर रही है कि इस देश में सरकारी सिस्टम सिर्फ गरीबों से सवाल कर सकता है। लोगों की जमा पूंजी कारोबार के नाम पर हड़पने वाले नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे कई बड़े-बड़े बैंक डिफाल्टरों का कुछ नहीं बिगाड़ सकता। लोन देने वाले बैंक सब्जबाग दिखाने वाले कारोबारियों पर यकीन कर सकते हैं लेकिन मकान के लिए फरियाद करने वाले दिहाड़ी मजदूर और किसानों के लिए कोई लचीली योजना नहीं ला सकते।