देहरादून : 14 फरवरी 2019 को हुए पुलवामा अटैक को आज एक साल पूरे हो गए। भले ही एक साल बीत गया..लेकिन लोगों के दिलों में 45 जवानों को खोने का दर्द आज भी आंखों में आंसू ला देता है और दिल में दुश्मनों के लिए गुस्सा। भले ही सरकार ने शहीद के परिवार को आर्थिक सहायता दी और नौकरी दी लेकिन उस बेटे, पिता, पति, भाई की कमी कभी पूरी नहीं हो सकती।..ऐसे ही दर्द में जी रहा हैं खटीमा निवासी शहीद वीरेंद्र सिंह का परिवार।…
बच्चे रोज पूछते हैं सवाल, मां नहीं बता पाई सच्चाई
पत्नी की आंखें पति को याद कर आज भी भर आती है और सोचती है कि उन बच्चों को क्या जवाब दूं जो रोज पूछते हैं पापा कब आएंगे….शहीद की पत्नी बस बच्चों को ये दिलासा देती है कि पापा भगवान के पास गए हैं। भगवान जब भेजेंगे तभी…रोते हुए शहीद की पत्नी बोली दिन कैसे कटते हैं यह मैं ही जानती हूं…बता दें कि शहीद वीरेंद्र के दो बच्चे हैं..एक लड़का और एक लड़़की..शहीद का बेटा बियान नर्सरी जबकी बेटी रूही यूकेजी में पढ़ती है।
उत्तराखंड के दो जवान हुए थे शहीद
बता दें कि पुलवामा अटैक में देश के 45 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे जिसमे खटीमा के वीरेंद्र सिंह राणा और उत्तरकाशी के मोहन लाल रतूड़ी भी शामिल थे जिनकी आज पुण्यतिथि है। पत्नी, बच्चे, परिवार आज भी वीरेंद्र राणा को और पुलवामा हमले को याद कर सहम जाते हैं औऱ आंखों में सिर्फ आंसू होते हैं।
पिता-पत्नी को बेटे की शहादत पर गर्व
शहीद की पत्नी रेणू राणा ने बताया कि उन्हें 31 अक्तूबर 2019 से तहसील में अनुसेवक की नौकरी मिल गई है। राज्य सरकार से 25 लाख मिले और सीआरपीएफ से पेंशन मिल रही है। शहीद की पत्नी दो महीने से तहसील के सरकारी आवास में बच्चों के साथ रह रही हैं। रेणू का कहना है कि जब आखिरी बार उनसे बात हुई थी तो उन्होंने यही कहा था कि रास्ते में हूं और अब पुलवामा पहुंचकर फोन करूंगा..शहीद की पत्नी को पति को खोने का गम तो है लेकिन गर्व है कि उनके पति देश के काम आए…पिता को भी बेटी की शहादत पर गर्व है।
पिता का सीना गर्व से चौड़ा
शहीद के पिता का कहना है कि हम महाराणा प्रताप के वंशज हैं, हमारी रगों में देशभक्ति दौड़ती है। मेरे बेटे ने देश के लिए शहादत दी है, मुझे वीरेंद्र पर गर्व है. यह बोलते-बोलते शहीद के 82 वर्षीय पिता दीवान सिंह राणा की आंखें नम हो गईं।
पुलवामा हमले में शहीद हुए सभी जवानों को खबर उत्तराखंड औऱ प्रदेश की जनता की ओर से सलाम