नई दिल्ली – विकास की रफ्तार का आंकड़ा चाहे जो भी रहा हो आम आदमी की थाली मे दाल पानी पानी रही। मंहगाई डायन ने गाढ़ी दाल खुद खाई जबकि घर-परिवार के चूल्हों की हांडी मे दाने कम पानी ज्यादा रखा।
लेकिन माना जा रहा है कि आने वाले वक्त मे ऐसा नही होगा और इस बार महंगी दालों से कुछ हद तक निजात मिल जायेगी । उसकी वजह है इस साल दलहन के रकबे मे जोरदार बढ़ोत्तरी। बात ये है कि इस बार अच्छे मानसून को देखते हुये किसानों ने दाल की खेती मे दिलचस्पी ली है , लिहाजा दलहन रकबे में जोरदार इजाफा हुआ है।
कृषि महकमे के आंकड़ों पर नजर डाली जाये तो पिछले साल अगस्त माह तक दालों की बुवाई 97.74 लाख हेक्टेयर रकबे में हुई थी, लेकिन इस बार खरीफ सीजन में दलहन फसलों का बुवाई रकबा सवा सौ हेक्टेयर के आंकड़े को पार कर गया है। बताया जा रहा है कि इस बार 130.17 लाख हेक्टेयर पर दलहन की बुवाई हुई है ।
मतलब साफ है कि अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा और कीड़ों की नजर दलहन के रकबे पर न लगी तो इस बार आने वाले महीनों में दालों के दाम बाजार मे थोड़ा गिर सकते हैं। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों पर अगर भरोसा करें माना जा सकता है कि अच्छे मॉनसून का अच्छा असर फसलों पर भी दिखाई देगा और बाजार पर भी। बशर्ते कालाबाजारी रोकने मे सरकार कामयाब रहे तो।