देहरादून- सरकार बदल गई लेकिन गन्ना किसानों को उसके गन्ने का भुगतान नहीं हुआ। जबकि कहा जाता है कि देर से मिला न्याय भी अन्याय के सामन होता है। पिछली सरकार ने भी कहा कि गन्ना किसानो के बकाया का भुगतान हो जाएगा और इस सरकार ने भी कहा था कि गन्ना उत्पादकों को उनकी मेहनत का मेहनताना मिल जाएगा।
बहरहाल सूबे के गन्ना एवं चीनी उद्योग मंत्री ने गन्ना भुगतान के लिए फार्मूला तलाशते हुए कहा है कि चीनी मिलों की गोदाम में पड़ी चीनी और उत्पादित शीरे को बेच कर गन्ना किसानों का कर्ज चुकाया जाएगा। इसके लिए मंत्री ने अधिकारियों को जल्द से जल्द बिक्री के निर्देश दिए हैं।
वहीं चीनी मिलों को दिए कर्ज और उसके ब्याज को माफ करने के प्रस्ताव को कैबिनेट में रखने के भी आदेश दिए हैं। चीन उद्योग मंत्री ने अधिकारियों को आदेश देते हुए कहा है कि बंद पड़ी गदरपुर चीनी मिल के ऋण और कर्मचारियों के भुगतान का प्रस्ताव भी कैबिनेट में रखा जाए ताकि उस पर भी कार्यवाही की जा सके और मुलाजिमों को राहत मिले।
ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि आज होने वाली कैबिनेट में गन्ना किसानों के भुगतान और गदरपुर चीनी मिल के मुलाजिमों के भुगतान संबन्धित प्रस्ताव पास हो सकता है। बहरहाल बड़ा सवाल ये है कि कैसे निजी चीनी मिलें खूब कमा रही हैं और सरकारी मिलें घाटा झेल रही है। कहीं न कहीं कोई कमजोर कड़ी तो जरूर है।