देहरादून: राज्य पुलिस को अब अपराध एवं कानून व्यवस्था बनाने के लिए दूसरों की मदद नहीं मांगनी पड़ेगी। अपराध खोलने के लिए पुलिस को दूसरे राज्यों में दबिश, विवेचना, पेशी, सबूत जुटाने, जांच, लावारिश शवों के दहन समेत अन्य मामलों में आर्थिक सहयोग के लिए इधर, उधर मुंह ताकना पड़ता है जिससे कई बार पुलिस पर भ्रष्टाचार के भी आरोप लगते हैं।
लेकिन जब ये समस्या सीएम त्रिवेंद्र रावत के संज्ञान में आई तो सीएम ने इस पर गंभीरता दिखाते हुए सीएम ने पुलिस विभाग को तीन करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। डेढ़ करोड़ की रकम पुलिस को मिलने के बाद थानेवार बांट दी गई है। मगर, यह समस्या सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के संज्ञान में आई तो उन्होंने पिछले दिनों पुलिस को इस मद में रकम देने की घोषणा की।
अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार का कहना है कि सीएम की घोषणा के अनुरूप पुलिस को तीन करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत होने का शासनादेश मिल गया है। पहली किश्त के रूप में डेढ़ करोड़ का बजट मिला है। इस बजट को थानों के हिसाब से बांट दिया गया है। उन्होंने बताया कि बड़े थानों को तीन लाख और छोटे थानों को डेढ़ से दो लाख रुपये दिए गए हैं। ताकि वर्षभर पुलिस इस मद से जरूरी खर्च पूरे कर सके। थानों के रोजमर्रा के जरूरी खर्चो के पूरा होने के बाद उम्मीद है कि पुलिस को अब इन कामों को कराने के लिए दूसरों का मुंह नहीं ताकना पड़ेगा।
सिर्फ उत्तराखंड में यह मदद:
एडीजी अशोक कुमार का कहना है कि देशभर में पुलिस विभाग में यह व्यवस्था सिर्फ उत्तराखंड में शुरू हुई है। अन्य राज्यों में इस तरह के बजट के लिए पुलिस को मैनेज होने की मजबूरी रहती है। जिससे कई बार पुलिस पर कंपल्सिव करप्शन के भी आरोप लगते हैं।