संवाददाता। गैरसैंण में हो रहा विधानसभा भवन अब पर्यावरणीय नियमों के फेर में फंसता दिखायी दे रहा है। गैरसैंण में बन रहे विधान भवन को लेकर एक याचिका एनजीटी के सामने रखी गई है। इस याचिका में कहा गया है कि गैरसैंण विधान भवन के निर्माण के लिए पर्यावरणीय मंजूरी नहीं ली गई। याची ने विधानसभा भवन के निर्माण पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन का आरोप लगा है।
उन्होंने याचिका में कहा है कि करीब 100 एकड़ में बनाए जा रहे इस भवन के लिए निर्माण से पहले पर्यावरणीय मंजूरी नहीं ली गई। जबकि अब तक भवन का 50 फीसदी से ज्यादा काम पूरा हो चुका है। वहीं एनजीटी की पीठ ने याचिका में की गई मांग में कुछ सुधार करने और मामले पर विचार के लिए 7 नवंबर की तारीख तय की है। यह मामला जस्टिस जावद रहीम की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने बुधवार को विचार के लिए पेश किया गया। याचिका पर्यावरणविद विक्रांत तोंगड़ की ओर से दाखिल की गई है। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि वे इस याचिका के आधार पर सीधे उत्तराखंड सरकार को नोटिस नहीं जारी कर सकते। वहीं पीठ ने याची को उनकी मांगों में सुधार कर फिर से याचिका दाखिल करने को कहा है।
याची ने अपनी मांगों में विधानसभा भवन के निर्माण कार्य पर रोक लगाने की भी मांग की थी। एनजीटी में दाखिल याचिका के मुताबिक चमोली जिले के भारीसेन क्षेत्र में बनाए जा रहे विधानसभा भवन के लिए वायु (संरक्षण व नियंत्रण) कानून और जल (संरक्षण व नियंत्रण) कानून, 1981 के तहत निर्माण से पहले पर्यावरण मंजूरी लेना अनिवार्य है। याची ने मामले में पर्यावरण मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड, वन विभाग, केंद्रीय भू-जल प्राधिकरण को पक्षकार बनाया है। याची की मांग है कि पर्यावरण नियमों की अनदेखी के लिए पक्षकारों पर भारी जुर्माना लगाया जाए। साथ ही पर्यावरण मंजूरी देने के लिए सख्त आदेश दिए जाएं।