देहरादून : केरल में हुए विमान हादसे में पायलट, को-पायलट समेक 18 लोगों की मौत हो गई जिससे पूरे देश में शोक की लहर है। हादसे में जान गवाने वाले पायलट साठे काफी अनुभवी थे। उन्होंने कई बार विमानों को दुर्घनाग्रस्त होने से बचाया और कईयों की जिंगदी बचाई. बीते दिन फिर खुद की जान गवाकर कइयों की जान बचाई लेकिन क्या आप जानते हैं दिवंगत पायलट कैप्टन दीपक साठे का उत्तराखंड के देहरादून से गहरा नाता था। उन्होंने देहरादून से पढ़ाई की थी तो अफसर पिता की तैनाती आईएमए में थी।
दीपक साठे ने की थी देहरादून के स्कूल से पढ़ाई
आपको बता दें कि दीपक साठे ने देहरादून के कैंब्रियन हॉल स्कूल से पढ़ाई की थी। स्कूल के प्रधानाचार्य डॉ. एससी ब्याला ने कहा कि वो दीपक साठे की मौत की खबर से वो दुखी है।साठे के बारे में उन्होंने बताया कि दीपक की प्रारंभिक शिक्षा कैंब्रियन हॉल स्कूल से हुई। दीपक ने पहली बार 1966 में स्कूल में एडमिशन लिया था। उस वक्त दीपक साठे के पिता वसंत दामोदर साठे की तैनाती देहरादून के आईएमए में हुई थी जो की कैप्टन थे। एक शाल रहने के बाद उनके पिता का ट्रांसफर हो गया औऱ साल 1970 में वसंत साठे का तबादला एक बार फिर देहरादून हुआ और तैनाती फिर भारतीय सैन्य अकादमी में हुई। दीपक ने फिर कैंब्रियन हॉल स्कूल में प्रवेश लिया और 11वीं कक्षा तक यहीं पढ़ाई की। डॉ. ब्याला ने बताया वर्ष 1975 में दीपक ने 10वीं पास की थी। दीपक 10वीं में 49 बच्चों में थर्ड आया था। दीपक के बड़े भाई विकास साठे भी कैंब्रियन हॉल के ही छात्र थे।दीपक की मौत से प्रधानाचार्य सदमे में हैं।
साठे भारतीय वायुसेना में विंग कमांडर भी रहे
दीपक साठे की मौत से प्रधानाचार्य समेत उनको पढ़ाने वाले शिक्षक दुखी हैं।डीवी साठे ने एयरफोर्स में लंबा समय बिताया था। उनको 11 जून 1981 को एयरफोर्स में कमीशन मिली थी और 22 साल की सेवा के बाद 30 जून 2003 को रिटायर हुए थे। एयरफोर्स में उन्होंने एएफए में स्वॉर्ड ऑफ ऑनर जीता था और फाइटर पायलट बने थे। एयर इंडिया एक्सप्रेस 737 में जाने से पहले दीपक एयर इंडिया के एयरबस 310 की उड़ान भी भर चुके थे। इसके अलावा वह एचएएल के टेस्ट पायलट भी रहे थे। वह भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट (विंग कमांडर) भी रहे थे।