मंडवे की रोटी
मंडवे की रोटी गढ़वाल मेंसबसे अधिक खाया जाने वाला प्रमुखता लिए..गढ़वाल के वोग अक्सर चूहले में मंडवे की मोटी-मोटी रोटी बनाते है और तिल या भांग की चटनी के साथ बड़े चाव से खाते है
झंगुरे की खीर चावल की खीर जैसी ही होती है अंतर ये होता है कि झंगुर महीन और बारीक दाने के रुप में होता है और आसानी से खाया जा सकता है। पहाड़ो में झंगुरे को चावल के जैसा पकाकर दाल-सब्जी के साथ भी खाया जाता है।
शादी-ब्याह के मौसम में इसे खास तौर पर बनाया जाता है. इसके लिए चावल को पीसकर आटे की शक्ल दी जाती है. फिर गुड़ को पिघलाकर इसमें मिलाया जाता है और बिस्किट के आकार में तेल या घी में फ्राई किया जाता है. गढ़वाल का यह एक पारंपरिक मीठा पकवान है.
इसमें उड़द और भट्ट की दाल को पीसकर गाढ़ा पकाया जाता है. इसके स्वाद में इजाफे के लिए बारीक टमाटर, प्याज, अदरक का पेस्ट बनाकर खूब पकाया जाता है. यह दिन के खाने के तौर पर खूब पसंद किया जाता है.
आप अगर गढ़वाल में हैं और चाहे किसी भी तरह का भोजन कर रहे हैं. भांग की चटनी इसे और स्वादिष्ट बनाती है. इसका खट्टा-नमकीन-तीखा फ्लेवर सभी तरह के परांठे और मंडवे की रोटी के साथ जबरदस्त स्वाद देता है.
इसे बनाने के लिए मंडवे के आटे में नमक, लाच मिर्च पाउडर मिलकार हलवे की तरह गाढ़ा पकाया जाता है. गढ़वाल में अधिकतार पकवान और व्यंजन बनाने के लिए लोहे की कढ़ाई का इस्तेमाल होता है.
कंडाली हरी सब्जी की तरह होती है. ये पहाड़ो में आसानी से मिल जाती है जिसमें सुई जैसे छोटे-छोटे कांटे होते है. इसके लिए पत्ते को अच्छी तरह धोकर बस तब तक उबाला जाता है, जब तक कि पूरी तरह पक न जाए. सर्दी के मौसम में यह गढ़वाल में ये व्यंजन खूब बनाया जाता है
फाणु का साग
सुबह के नाश्ते के लिए गहत की दाल के परांठे गढ़वाल में ऑल टाइम फेवरेट हैं. तासीर से गर्म गहत पहाड़ी मौसम के लिहाज से भी लाभदायक है. भांग की चटनी के साथ इसका स्वाद और निखर जाता है. लोग गहत की दाल को भूनकर भी खाना पसंद करते हैं. आमतौर पर इसके लिए मंडवे के आटे का इस्तेमाल होता है.