बद्रीनाथ मंदिर के कपाट 19 नवंबर को विधि विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। दोपहर 3 बजकर 35 मिनट पर मंदिर के कपाट अभिजीत मुहूर्त में मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर फूलों से सजाया गया। गढ़वाल स्काउट के बैंड ने इस दौरान अपनी प्रस्तुती दी।
कोरोना काल में मंदिर को तय समय से काफी समय बाद आम श्रद्धालुओं के लिए खोला गया था। इसके चलते इस बार मंदिर आने वालों की संख्या बेहद कम रही है। इस साल महज एक लाख पैंतालिस हजार के करीब श्रद्धालू ही धाम में पहुंचे। मंदिर के कपाट बंद होने के दिन पांच हजार श्रद्धालुओं ने भगवान बद्रीनाथ के दर्शन किए। इस दौरान पूरा मंदिर फूलों से सजाया गया। पूरे विधि विधान के बह्म मुहूर्त में सुबह 4.30 बजे बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खोले गए थे। एक बजे के करीब शयन आरती संपन्न हो गई। इसके बाद भगवान बद्रीनाथ को माणा गांव की महिलाओं के जरिए बनाया गया घृत कंबल ओढ़ाया गया। पूरे शीतकाल के दौरान भगवान यही कंबल ओढ़े रहेंगे। इसके बाद मंदिर के कपाट तीन बजकर 35 मिनट पर बंद कर दिए गए।
इस दौरान धाम में बर्फ की चादर बिछी हुई है। पूरा धाम बर्फ की चादर से ढंका हुआ है। इस दौरान कई श्रद्धालू भी पहुंचे हुए हैं। कोरोना के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन किया गया। भगवान बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के साथ ही औपचारिक रूप से चार धाम यात्रा समाप्त हो गई है। वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चारधाम यात्रा के सफल संचालन पर देश विदेश के श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दी हैं।