घनसाली : घनसाली विधानसभा में पड़ने वाले गांव गंगी गांव के लोग आदिम युग में जीने को मजबूर हैं। गांव तक जाने वाली सड़कें पूरी तरह जर्जर अवस्था में है। बिजली के अभाव में जीने को मजबूर हैं. पीने के पानी से लेकर कई मूलभूत अवश्यताएं हैं जिनसे गांव वाले कोसों दूर है और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलें हैं.
घनसाली विधानसभा के अति सीमांत गांव को पिछड़ा क्षेत्र घोषित करने के बाद वहां के लोगों में रोष है और इसके खिलाफ लोगों ने इसका पुरजोर विरोध किया है…साथ ही लोगों ने इस बार सरकार को कड़ी चेतावनी देते हुए बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी भी सरकार को दी है. लोग अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठ गए हैं और मरने मिटने को तैयार है.
लोग आज भी आदिम युग की तरह जी रहे हैं
जी हां घनसाली विधानसभा के अंतर्गर्त आने वाले अति सीमांत गांव गंगी गांव में आज तक बिजली नहीं पहुंची है…राज्य स्थापना के 18 साल के बाद भी राज्य के कई जिलों में ऐसे गांव भी है जहां सुख-सुविधाओं का अभाव है..कहीं पानी की समस्या तो कही बिजली की कहीं सड़क की समस्या तो कई स्कूल की…सरकार कोई भी आए और जाए…हर कोई दावे मात्र करती है और इन दावों की पोल तब खुलती है जब लोगों को अपनी मूलभूत सुविधाओं के सरकार के सामने गिड़गिड़ाना पड़ता है और घरना प्रदर्शन करना पड़ता है. हैरानी होती है कि देश इतना आगे बढ़ गया…राज्य इतना आगे बढ़ गया है लेकिन ऐसी भी जगह है जहां लोग आज भी आदिम युग की तरह जी रहे हैं.
हमें हर बार सिर्फ वोट बैंक के लिए मोहरा बनाया जाता है-ग्रामीण
आपको बता दें घनसाली विघानसभा के अंतर्गर्त आने वाले और पिछड़ा क्षेत्र घोषित करने के सीमांत गाँव गंगी गाँव के ग्रामीणों में काफी रोष है और उन्होंने आज से पूरब सिंह राणा के नेतृत्व में रीह चेक में धरना प्रदर्शन किया. साथ ही सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर 24 घंटे के भीतर उनकी बातों का संज्ञान नही लिया गया तो वह अन्य ग्रमीणों के साथ आमरण अनशन शुरु करेंगे. लोगों का कहना है कि हमें हर बार सिर्फ वोट बैंक के लिए मोहरा बनाया जाता है…
इन-इन समस्याओं से जूझ रहे लोग
गाँव में आज तक नहीं पहुंची बिजली
स्वास्थय सुविधाओं की कोई व्यवस्था नहीं
सड़क का कार्य अधर में लटका है और जो भी सड़के बनाई गई है बदहाल अवस्था में है. बच्चे स्कूल नहीं जाते
गांव के बच्चे किसी भी अजनबी को देख कर भाग जाते हैं
आप साफ तौर पर उनके पहनावे को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि ग्रामीण आज भी आदिम युग में जी रहे हैं। वहीं वहां के लोग खासतौर पर बच्चे किसी भी अजनबी को देख कर भाग जाते हैं जैसे इंसान को कभी देखा ही न हो…तो आप समझ सकते हैं कि यहां उत्तराखंड की खूबसूरत धरती जिसका हर कोई दीदार करना चाहता है…वहां ऐसी भी जगह है और ऐसे भी लोग हैं जो इंसान को देखकर ही सहम जाते हैं और बिजली, पानी,सड़क की समस्याओं से जूझ रहे हैं.
चाहे उनकी जान भी चले जाएं वे हिचकेंगे नही
लेकिन इस बार ग्रमीणों में खासा रोष और गुस्सा है. उनका कहना है कि वे वर्तमान विधयक से लेकर मुख्यमंत्री तक अपनी बात रख चुके है लेकिन सबने उनको केवल वोट बैंक सम कर प्रयोग किया है. उनसे हर बार झूठे दावे किए जाते हैं लेकिन आज तक उनकी समस्याओं का किसी ने संज्ञान नहीं लिया. उनका साफ तौर पर कहना है कि इस बार की लड़ाई बड़ी होने वाली है. पूरब सिंह रावत ने कहां है कि इस कार्य के लिए चाहे उनकी जान भी चले जाएं वह हिचकेंगे नही।