पौड़ी गढ़वाल : कहते हैं मेहनत का औऱ सब्र का फल मीठा होता है…और ऐसा ही हुआ पौड़ी गढ़वाल के वर्णित नेगी के साथ…जिन्होंने दो बार सिविल परीक्षा में असफल होने के बाद भी हार नहीं मानी और दिल में डीएम बनने की चाह रखे लगातार परीक्षाएं देते रहे और आखिरकार उन्हें कल सफतला मिली. उन्हे असिस्टेंट कमिश्नर के पद से भी संतुष्टि नहीं मिली औऱ अब आइएएस अधिकारी बने.
वर्णित नेगी ने सिविल सेवा परीक्षा में 13वीं रैंक हासिल की
जी हां आपको बता दें बीते दिन यूपीएससी का रिजल्ट घोषिट हुआ जिसमें पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर ब्लॉक स्थित किमसार गांव निवासी वर्णित नेगी ने सिविल सेवा परीक्षा में 13वीं रैंक हासिल की है। आपको बता दें इससे पहले वर्णित ने दो बार परिक्षाएं दी थी लेकिन वो असफल रहे. उन्होंने तीसरी बार में सफलता पाई. वर्णित का कहना है कि अगर व्यक्ति ईमानदारी से प्रयास करे तो सफलता मिल ही जाती है।
पिता प्रधानाचार्य तो मां असिस्टेंट प्रोफेसर, भाई कर रहा देश की सेवा
मिली जानकारी के अनुसार वर्णित नेगी के पिता देवेंद्र सिंह नेगी बिलासपुर छत्तीसगढ़ में हाईस्कूल परसदा के प्रधानाचार्य हैं। मां डॉ. सीमा नेगी विलासपुर महाविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं तो वहीं बड़े भाई डॉ. अंकित नेगी बीएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट हैं। वर्णित के एक चाचा एनएस नेगी ऊर्जा निगम सिडकुल हरिद्वार में सहायक अभियंता (मीटर) के पद पर तैनात हैं तो दूसरे चाचा उत्तराखंड पुलिस हरिद्वार में रेडियो निरीक्षक हैं।
पिता बनना चाहते आइएएस अफसर, बेटे ने किया पूरा सपना
मिली जानकारी के अनुसार वर्णित के पिता खुद आइएएस बनना चाहता थे लेकिन उनका सपना पूरा नहीं हो सका तो वो सपना बेटे ने पूरा किया. बता दें वर्णित ने 2016 में आइएएस की लिखित परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी लेकिन साक्षात्कार में रह गए। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी उन्होंने फिर साल 2017 में इस परीक्षा में शामिल हुए और 504वीं रैंक हासिल की। वर्णित को भारतीय रेलवे पुलिस में असिस्टेंट कमिश्नर की नियुक्ति मिली लेकिन वर्णित के मन मे डीएम बनने की चाह ने फिर से उन्हें परीक्षा देने को कहा औऱ उन्होंने फिर से आइएएस परीक्षा दी और अब की बार उन्होंने सफलता की ऐसी छलांग लगाई उन्हें 13वीं रैंक हासिल हुई। इससे पूरे परिवार औऱ क्षेत्र में खुशी की लहर है.
मिली जानकारी के अनुसार वर्णित नेगी ने स्कूलिंग जशपुर छत्तीसगढ़ से की है। इसके बाद की पढ़ाई बिलासपुर व कोटा में रहकर पूरी की। बाद में एनआइटी सूरतकल, कर्नाटक से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उनका कैंपस सिलेक्शन हुआ और दो साल तक उन्होंने एक प्राइवेट कंपनी में जॉब की। जिसे छोड़ वो सिविल परीक्षा की तैयारी में जुट गए.