देहरादून : जब किसी युवा की मेहनत और लगन के बाद उसके कंधे पर सितारे सजते हैं तो वो सितारे आसमान के अनगणित सितारों से कई अधिक चमकीले और रोशनी बिखेरने वाले होते हैं. बस फर्क सिर्फ इतना है कि आसमान के सितारों को देख बच्चे खुश होते हैं जो धरती पर रोशनी बिखेरते हैं और कंधे पर, वर्दी पर सजे सितारों को देखकर सैनिक के माता-पिता पत्नी-बच्चे औऱ देश खुश होता है जो कि देश की सेवा के लिए तैयार है. उस वक्त उस जवान की मां की आंखों में आंसू भी होते हैं जिसने बेटे को इस काबिल बनाया की आज आसमान के सितारे उसकी वर्दी पर लगे सितारों से कम चमक दार है. और युवाओं की मेहनत से घरवालों का नाम तो रोशन होता ही है साथ ही प्रदेश का नाम भीरोशन होता है.
हैदराबाद में हुई CISF की पासिंग आउट परेड
जी हां ऐसा ही हुआ बीते दिन…जिसमें उत्तराखंड के दो जवानों ने प्रदेश का नाम रोशन किया. दरअसल हैदराबाद में हुई पासिंग आउट परेड में उत्तराखंड के दो बेटे सीआइएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट बने. जिसमें एक नाम है अल्मोड़ा के वीरेंद्र सिंह मेहता और दूसरे हैं पारस राणा जिन्होंने उत्तराखंड का नाम रोशन किया.
मन में तो आसमान छूने की ख्वाहिश थी जो वर्दी पर लगे दो सितारों से पूरी नहीं हुई
आपको बता दें देहरादून निवासी पारस राणा का पैतृक गांव टिहरी धारकोट, टिहरी गढ़वाल है जो की सीआइएसएफ में 2012 में सब-इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती हुए थे…लेकिन मन में तो आसमान छूने की ख्वाहिश थी जो की दो सितारों से पूरी नहीं हुई…उन्होंने कड़ी मेहनत के बाद ये मुकाम हासिल किया और असिस्टेंट कमांडेंट बने.
पारस राणा से की खबर उत्तराखंड ने बात, बोले- कई बार दी परीक्षाएं असफलता लगी थी हाथ
खबर उत्तराखंड से बातचीत में पारस राणा ने बताया कि कैसे उन्होंने यहां तक पहुंचने के लिए मेहनत की और 6-7 बाद ये मुकाम हासिल किया. उन्होंने बताया कि उन्होंने सीडीएस औऱ डायरेक्ट पद के लिए कई बार परीक्षाएं दी लेकिन सलेक्शन नहीं हुआ लेकिन उन्होंने उसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और तैयारी की….जिसके बाद अब जाकर उन्हें सफलता मिली. उन्होंने बताया कि सीआइएसएफ में इस पद में पहुंचना आसान नहीं है लेकिन मेहनत के कारण आज उनका सीआइएसएफ में असिस्टेंड कमांडेंट में सेलेक्शन हुआ जो कि उनके लिए गर्व की बात है.
पारस राणा ने देहरादून से की पढ़ाई
पारस राणा ने खबर उत्तराखंड को बताया कि उनकी पढ़ाई देहरादून से ही हुई है. और उनकी इस मेहनत और कामयाबी से उनकी मां और पत्नी समेत पूरा परिवार और गांव तो खुश हैं ही साथ ही पूरा उत्तराखंड गर्व महसूस कर रहा है. पारस राणा ने बताया कि वो विवाहित हैं और उनके पिता का स्वर्गवास हो गया है जो की IIRS में कार्यरत थे. जिसके बाद मां ने ही उनकी देखरेख की. उन्होंने बताया कि उनकी पत्नि गृहणी हैं.
असिस्टेंड कमांडेंट पारस राणा ने युवाओं को दिया संदेश
खबर उत्तराखंड के जरिए उन्होंने युवाओं को संदेश दिया कि आर्मी के साथ-साथ सीआइएसएफ के क्षेत्र में भी युवाओं को बढ़चढ़ कर आगे आना चाहिए. उन्होंने परीक्षा में असफल होने वाले युवाओं को संदेश दिया कि कभी भी जिंदगी में हार नहीं माननी चाहिए बल्कि निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए एक दिन सफलता जरुर मिलेगी.
दीपिका रावत
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