भारत में हमदर्द के रूह अफजा शरबत की कमी पर पाकिस्तान ने अपने यहां से भेजने की पेशकश की है। पाकिस्तान की कंपनी हमदर्द के सीईओ उसमा कुरैशी ने ये पेशकश की है। भारत में रमजान के दौरान रूह अफजा शरबत बाजार से गायब है।
ऐसी खबरें हैं कि भारत की हमदर्द कंपनी में बंटवारे को लेकर परिवार में विवाद चल रहा है। इस कारण इस शरबत का प्रोडक्शन बंद कर दिया गया। हालांकि कंपनी ने सफाई देकर कहा कि शरबत में डलने वाले कुछ तत्व की कमी के कारण प्रोडक्शन बंद किया गया था। रोजा रखने वाले कई मुस्लिम रूह अफजा शरबत से इफ्तारी करते हैं। पाकिस्तान की कंपनी ने यह प्रस्ताव पवित्र मुस्लिम महीने रमजान के दौरान गर्मी में ताजगी लाने वाले इस शरबत की कमी की मीडिया रिपोर्ट के बाद दिया है।
हमदर्द पाकिस्तान के मुख्य कार्यकारी उस्मा कुरैशी ने दिया प्रस्ताव
एक भारतीय समाचार साइट के एक लेख पर प्रतिक्रिया देते हुए हमदर्द पाकिस्तान के मुख्य कार्यकारी उस्मा कुरैशी ने रूहअफ्जा पेय की भारत को वाघा सीमा के जरिए आपूर्ति का प्रस्ताव दिया। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘हम इस रमजान के दौरान भारत में रूहअफ्जा व रूहअफ्जागो की आपूर्ति कर सकते हैं। यदि भारतीय सरकार द्वारा अनुमति दी जाती है तो हम वाघा सीमा से ट्रकों को आसानी से भेज सकते हैं।
पांच महीने से बिक्री बंद है और यह ऑनलाइन स्टोर में भी उपलब्ध नहीं
रूहअफ्जा की भारतीय बाजार में चार से पांच महीने से बिक्री बंद है और यह ऑनलाइन स्टोर में भी उपलब्ध नहीं है। इसमें यह भी कहा गया है कि हमदर्द इंडिया ने इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। इसने हालांकि, कच्चे माल की आपूर्ति में कमी को उत्पादन बंद होने के लिए जिम्मेदार ठहराने का प्रयास किया है। कंपनी के मुताबिक रूह अफजा का उत्पादन शुरू हो गया है और जल्द ही इसकी सप्लाई की कमी को पूरा कर दिया जाएगा।
दवाखाना पेय की वजह से पहचाने जाने लगा
1900 के दशक में यूनानी चिकित्सा व्यवसायी हकीम हाफिज अब्दुल मजीद ने पुरानी दिल्ली के लाल कुआं बाजार में ‘हमदर्द’ नाम का दवाखाना खोला। 1907-1908 के आसपास, हकीम मजीद ने दिल्ली की गर्म लू की हवाओं से निपटने के लिए ‘रूह अफज़ा’ नामक पेय की खोज की। देखते ही देखते जो एक दवाखाना शुरू किया गया था वो अब पेय की वजह से पहचाने जाने लगा। 1947 तक, रूह अफजा दिल्ली में और संयुक्त प्रांत में हर किसी रसोई में पाया जाने लगा। जब देश में बंटवारे का माहौल था और इसमें ‘हमदर्द’ भी बंट गया और अब्दुल के मरने के बाद उनके छोटे बेटे हकीम मोहम्मद सईद ने पाकिस्तान जा कर वहां कराची से हमदर्द की शुरूआत की। भारतीय हमदर्द की तर्ज पर ये कंपनी भी खोली गई और आज पाकिस्तान में जाना पहचाना ब्रांड हैजब से भारतीय बाजारों में रूह अफजा की कमी की खबर फैली है, तब से ट्विटर पर एक जंग जैसा माहौल शुरु हुआ और यूजर्स ने जमकर ट्रॉल किया.
यूजर्स ने जमकर की अधिकारी की खिंचाई
बता दें कि पाकिस्तान हमदर्द को जवाब देते हुए एक यूजर ने लिखा कि पहले आतंकवादियों को भेजना बंद करो, फिर बाद में रूह अफजा भेजना’। वहीं एक यूजर ने लिखा, ‘क्या आप साथ में मसूद अजहर को भी भेज सकते हैं? अगर आप ऐसा कर सकते है तो भारत सरकार आपके लिए बार्डर खोल सकती है’। हालांकि कुछ भारतीयों ने पाकिस्तान के इस प्रस्ताव की तारीफ भी की।