भारतीय वायुसेना के पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकी कैंप को तबाह करने के बाद पाक बौखला गया जिसके बाद पाक वायुसेना ने भारतीय वायु सीमा का उल्लंघन करते हुए रजौरी और पुंछ में बम फेंके.
वहीं पाकिस्तान सरकार ने दावा किया कि आज हमने पाकिस्तानी सीमा में रहकर ही नियंत्रण रेखा पर हमले किए. पाक पीएम इमरान ने कहा कि यह बदला नहीं है, हम सिर्फ यह दिखाना चाहते थे कि हम आत्मरक्षा में सक्षम हैं. साथ ही कहा कि हमें मजबूर किया गया तो हम जवाब देने को तैयार हैं.
पाक सेना का दावा-दो पायलट गिरफ्तार, भारत विदेश मंत्रालय ने की पुष्टि
वहीं इसके बाद पाक सेना ने दावा किया कि उन्होंने दो भारतीय सैन्य विमान मार गिराए और दो पायलट को गिरफ्तार किया. सैन्य प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने एक ट्वीट में दावा किया कि एक विमान पाकिस्तानी कब्जे वाले क्षेत्र में गिरा, जबकि दूसरा जम्मू-कश्मीर में गिरा. पाक सेना ने दो पायलटों के गिरफ्तारी का दावा किया जबकि एक का वीडियो भी वायरल किया. जबकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक विमान क्रैश और एक पायलट के लापता होने की पुष्टि की.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा : हमारा एक पायलट लापता है.
वहीं विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा है कि हमारा एक पायलट लापता है. इसकी जांच की जा रही है.
लेकिन आपको बता दें युद्धबंदियों को लेकर भी नियम बनाए गए हैं जिन्हें फॉलो करना जरुरी है. हालांकि कई बार कुछ देशों ने इस नियम का उल्लंघन किया है.
पहले भी पाक ने गिरफ्तार किया था पायलट, 8 दिन बाद वापस भेजा
सैन्य नियमों के अनुसार पकड़े गए पायलट को या सैनिक को आवश्यक पूछताछ के छोड़ना पड़ता है. यदि किसी देश ने शत्रु देश के व्यक्ति को पकड़कर प्रिजनर ऑफ वॉर घोषित कर दिया है तो इसका अर्थ है कि वह व्यक्ति जिनेवा कन्वेंशन के अंर्तगत पूर्णतः सुरक्षित है. कारगिल युद्ध के समय भी एक इंडियन पायलट को प्रिजनर ऑफ वॉर के रूप में पाकिस्तान ने क्लेम किया था जिसका नाम के. नचिकेता है और जिनेवा कन्वेंशन के अंतर्गत 8 दिनों के बाद उसे वापस करना पड़ा था।
क्या हैं युद्ध बंदियों के लिए नियम
अंतरराष्ट्रीय जिनेवा संधि में युद्धबंदियों को लेकर नियम बनाए गए हैं. इसके तहत युद्धबंदियों को डराने-धमकाने का काम या उनका अपमान नहीं किया जा सकता. युद्धबंदियों को लेकर जनता में उत्सुकता पैदा भी नहीं करना है. जिनेवा संधि के मुताबिक युद्धबंदियों पर या तो मुकदमा चलाया जाएगा या फिर युद्ध के बाद उन्हें लौटा दिया जाएगा. पकड़े जाने पर युद्धबंदियों को अपना नाम, सैन्य पद और नंबर बताने का प्रावधान किया गया है.
हालांकि दुनिया के कुछ देशों ने जिनेवा संधि का उल्लंघन भी किया है. जिनेवा संधि का आमतौर पर मतलब दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1949 में तैयार किए गई संधियों और नियमों से है. इसका मुख्य मकसद युद्ध के वक्त इंसानी मूल्यों को बनाए रखने के लिए कानून तैयार करना था.