देहरादून: जलजला आया। आखों के सामने पत्नी को अपने साथ बहा ले गया। कंधे पर बेटियों को उठाये उपेंद्र ने किसी तरह बेटियों को तो बचा लिया, लेकिन अपनी पत्नी को नहीं बचा पाया। पत्नी को नहीं बचा पाने का दर्द उसकी आंखों में बार-बार आंसुओं का सैलाब ला रहा है। गला रुआंसा हो गया। कहता है कि उसे पत्नी को नहीं बचा पाने का मलाल जीवनभर रहेगा।
माकुड़ी गांव निवासी उपेंद्र और उसकी दो मासूम बच्चियों अंशिका और विद्या के सामने उनकी दुनिया उजड़ गई और कुछ नहीं कर पाये। मासूम बच्चियां मां के लिए रोती रही। मम्मी-मम्मी चिल्लाती रही। कुछ ही देर में उनकी मांग जलजले के बीच हमेशा-हमेशा के लिए गुम हो गई। दून अस्पताल में इलाज करा रहे उपेंद्र ने हादसे के बारे में बताया। उन्होंने जो बताया वो रोंगटे खड़े करने वाला था।
पत्नी तरोजना के साथ वो अपनी दोनों बेटियों को याद करते हुए उपेंद्र ने बताया कि बेटियों के कंधे पर सवार होने की वजह से कुछ भी नहीं कर पाया। अगर बेटियां को छोड़ता को वे दोनों भी सैलाब में बह जातीं। किसी तरह बच्चियों को सुरक्षित बाहर निकाला। इस बीच एक और जलजला आया, जिसमें वो भी बह गया। किसी तरह खुद को बचाया।