नैनीताल- कर चले हम फिदा जान ओ तन साथियों अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों। सूबे के जांबाज लाल हीरा बल्लभ भट्ट ने मुल्क की हिफाजत के लिए अपना बलिदान दे दिया है और साबित किया है कि शहीद कभी नही मरते उनकी सिर्फ देह फना होती है नाम हमेशा अमर रहता है।
छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सली हमले में उत्तराखंड के नैनीताल जिले के 45 वर्षीय सब इन्स्पेक्टर हीरा बल्लभ भट्ट शहीद हो गए हैं। शहीद हीरा के घर में उनकी शहादत की खबर से मातम पसर गया है। नैनीताल के ज्योलिकोट घर में उनकी 75 वर्षीय माता नन्दी देवी के हाथ से बुढापे लाठी छिन गई है और उनकी पत्नी समता भट्ट के सामने दुखों का पहाड़ खड़ा हो गया है। काश सियासत उस पीड़ा को समझ पाए जो एक शहीद की उम्रदराज मां को और उसकी बेवा और उसके मासूम बच्चों को तांउम्र झेलनी है।
शहीद हीरा की पत्नी सैंट एंथोनी इंटर कॉलेज में शिक्षिका है । शहीद हीरा के 2 बच्चे है जिनमे 14 वर्षीय पुत्र शुभम भट्ट कक्षा 8 और 11 वर्षीय बेटी डिम्पल कक्षा 6 की छात्रा है । शहीद हीरा जाने से बेशक उत्तराखंड उदास है लेकिन उनकी शहादत पर गर्व भी महसूस कर रहा है। खबर उत्तराखड डॉट कॉम शहीद हीरा को उनकी शहादत पर सलाम करता है और वादा करता है कि हम अपनी धरती के इस लाल को कभी नहीं भूल पांएगे।
बहरहाल बड़ा सवाल ये है कि आखिर कब तक जवानों जिस्म यूं ही फना होते रहेंगे आखिर कोई समाधान क्यों नहीं निकला जाता कम से कम मुल्क के भीतर तो अमन रहे किसी बहिन का सिंदूर न उजड़े किसी मां की हाथों से उसकी बुढ़ापे की लाठी न छिने।