कृषि क्षेत्र में अब पहले के मुताबिक काफी बदलाव देखने को मिल रहा है. किसानों ने अपनी परंपरागत खेती करने का तौर तरीका बदला है, जिससे ना सिर्फ किसानों को मुनाफा हो रहा है, बल्कि भाग दौड़भरी जिंदगी में लोगों की अच्छी सेहत का भी खास ध्यान रखा है.. जी हां अब किसान रसायनिक खेती को छोड़ जैविक खेती को अपना रहे है.. जिससे ना सिर्फ रोजगार के अवसर पैदा हो रहे है बल्कि जैविक खेती से किसान अपनी एक अलग पहचान भी बना रहे हैं.
इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए हरियाणा के किसान भी जैविक खेती को अपनाकर आजीविका का सहारा बना रहे हैं… झज्जर जिले के रईया गांव में रहने वाले किसान राकेश धनखड़ और उनके बेटे अश्वनी धनखड़ ने अपने खेतों में फल और सब्जियों की बागवानी की है…जिससे अब उन्हें मुनाफा भी होने लगा है…शुरूआती दौर में उन्होने सिर्फ घरेलू उपयोग के लिए सब्जियां उगाना शुरू किया था.. जिसके बाद उन्हे इससे फायदा दिखा और फिर उन्होंने अमरूद, सेब, अनार, मूली, पालक, धनिया आदि सभी कुछ लगाकर आमदनी का साधन बनाया है.
किसान राकेश धनखड़ और उनके बेटे अश्वनी धनखड़ की मानें तो उनके द्वारा उगाए गए अमरूद के पेड़ों से लगभग 500 ग्राम का अमरूद तैयार किए जा रहे हैं..इतना ही नहीं जैविक खेती के लिए खाद भी खुद ही तैयार करते हैं.. शुरूआती दौर में मेहनत ज्यादा और फल कम भले ही मिले, लेकिन उन्हे उम्मीद है कि आने वाले समय में जैवीक खेती ही उनकी पहचान बनेगी… जिसके लिए वो दिन रात मेहनत भी कर रहे है..