पिथौरागढ़ : नंदा देवी पर्वत पर पर्वतारोहण के दौरान एवलांच की चपेट में आकर जान गंवाने वाले सात पर्वतारोहियों में से चार पर्वतारोहियों के शवों को पिथौरागढ़ लाया गया है। वहीं अन्य तीन पर्वतारोहियों के शवों को अभी मुनस्यारी में रखा गया है। शवों को एमआई-17 हेलीकॉप्टर से लाया गया है। पंचनामा भरने के बाद शवों को हल्द्वानी जिला अस्पताल में रखा जाएगा। उसके बाद सभी पर्वतारोहियों के शवों को दिल्ली भेजा जाएगा। हालांकि अभी किसी भी पर्वतारोही की शिनाख्त नहीं हो पाई है।
एक भारतीय गाइड समेत 8 पर्वतरोही हो गए थे लापता
आपको बता दें कि 13 मई को मुनस्यारी से नंदादेवी ईस्ट के लिए गए ब्रिटेन निवासी मार्टिन मोरिन, जोन चार्लिस मैकलर्न, रिचर्ड प्याने, रूपर्ट वेवैल, अमेरिका के एंथोनी सुडेकम, रोनाल्ड बीमेल, आस्ट्रेलिया की महिला पर्वतारोही रूथ मैकन्स और इंडियन माउंटेनियरिंग फेडरेशन के जनसंपर्क अधिकारी चेतन पांडेय पर्वतारोहण के दौरान एवलांच की चपेट में आने से लापता हो गए थे. जिनमें से चार के शव पहले ही बरामद कर लिए गए थे.
भारत तिब्बत सीमा पुलिस के 18 हिमवीरों ने शुरु किया था ऑपरेशन
नंदा देवी में पर्वतारोहण के दौरान एवलांच की चपेट में आकर जान गंवाने वाले सात पर्वतारोहियों में से चार पर्वतारोहियों के शवों को आईटीबीपी के जवानों ने 18900 फीट की ऊंचाई पर पहुंचाया है। इसके लिए 11 घंटे लंबा ऑपरेशन चला। इस अभियान को दुनिया का सबसे कठिन रेस्क्यू अभियान माना गया. आईटीबीपी के जवानों ने शवों को साढ़े चार सौ मीटर की खड़ी दीवार से नीचे उतारने के बाद बेस कैंप तक पहुंचाया. आईटीबीपी ने इसे विश्व का पहला और तकनीकी रूप से सबसे कठिन अभियान बताया था. नंदा देवी में पर्वतारोहण के दौरान पर्वतारोहियों के शव पिंडारी की ओर गिर गए थे। भारत तिब्बत सीमा पुलिस के 18 हिमवीरों ने पर्वतारोही और बल के सेकेंड कमान अधिकारी आरएस सोनाल के नेतृत्व में सुबह 5 बजकर 30 मिनट पर ऑपरेशन शुरू किया था। बर्फ और खतरनाक दर्रो से शवों को लेकर तीन किलोमीटर चलकर 18900 फीट की ऊंचाई पर स्थित चोटी तक पहुंचे थे। जिसे ऑपरेशन डेयर डेविल नाम दिया गया.
आईटीबीपी के डीआईजी एपीएस निंबाडिया डेयर डेविल अभियान पर नजर बनाए हुए थे। उन्होंने बताया था कि पर्वतारोहियों के शवों को पूरे सम्मान के साथ लाया जाएगा। डीआईजी के अनुसार एक शव का भार 80 से 90 किलो तक है। कठिन दर्रों और बर्फ में जवानों ने अभी तक इस काम को सफलतापूर्वक पूरा किया. उन्होंने बताया था कि पर्वतारोहियों के शवों को निकालने में जो तकनीक अपनाई जा रही है वह विश्व का अपनी तरह का पहला अभियान है।