अगर उत्तराखंड में करोड़पति लोगों के हाथ में आनी वाली शराब की दुकानें खोली जा सकती हैं तो फिर खोखे और छोटी दुकानों में बैठकर पान, पान माला और बीड़ी-सिगरेट बेचने वालों से क्या दुश्मनी है ? इनके भी दुकानें क्यों नहीं खोल देती सरकार? खास बात ये है कि उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों ने भी पान, बीड़ी की दुकान खोलने की अनुमति दे दी है। उत्तराखंड में करोड़पति शराब के ठेकेदारों की दुकानें खुल गईं, मगर गरीब खोखे वालों की सुध किसी को नहीं है। क्योंकि शायद गरीब की आवाज सत्ता नहीं सुनती है।
ये महज एक बात नहीं। एक बड़ा सवाल है। बड़ा इसलिए है कि पान के खोखे में बैठकर पान, बीड़ी अन्य सामान बेचने वाले धन्नासेट नहीं, जो उनका परिवार महीनों खोखा बंद रखबर चल जाएगा। शराब से अगर सरकार चलती है, तो इन खोखे वालों से भी सरकार को कुछ ना कुछ जरूर मिलता है। अगर जल्द ही इनको खोलने की अनुमति नहीं दी गई, तो इनकी दिक्कतें और बढ़ जाएंगी।
सरकार को ऐसे दुकानदारों को प्रोत्साहन देना चाहिए था, लेकिन सरकार इनके खोखों को भी नहीं खुलने दे रही है। इससे दिक्कत यह है कि कई परिवारों की आर्थिकी पूरी तरह से बताह हो गई है। जबकि कई परिवारों पर आर्थिक संकट गहरा रहा है। सरकार अन्य दुकानों की तरह इन छोटे पान, बीड़ी, गुटखा की दुकानों को भी कुछ शर्तों के साथ खोलने की अनुमति दे सकती है।