बड़कोट– जर्जर ट्रालियों के भरोसे चल रही आवाजाही दुर्घटनाओं को न्योता दे रही है। सरकारी तंत्र ना तो पुलों का निर्माण कर पाया और न ही इन ट्रालियों को दुरुस्त कर सुरक्षित आवाजाही के काम कर पाया। ऐसे में ग्रामीण जान जोखिम में डालकर उफनती नदियों को पार करने के लिए मजबूर हैं।
जून 2013 की आपदा में यमुनोत्री हाईवे से लगे खरादी में बना झूला पुल बह गया था, जिससे ठकराल पट्टी के नगाणगांव, थान, स्यालब, सुकण, कुर्सिल, गौल, फूलधार आदि गांव अलग-थलग पड़ गए थे।अभी तक इस स्थान पर पुल का निर्माण नहीं कराया गया।
लोनिवि ने 14 लाख रुपये लागत से हाथ से रस्सी खींचने वाली ट्राली तो लगवाई, लेकिन इससे आए दिन हादसे हो रहे हैं। इस ट्राली की क्षमता एक बार में तीन लोगों को ले जाने की है, लेकिन स्कूल जाने और छुट्टी में एक बार में 8-9 बच्चे इसमें आवाजाही करते हैं।
ट्राली संचालन के लिए लोनिवि एवं प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था न होने से ओवरलोडिंग के चलते यहां बड़े हादसे का खतरा बना हुआ है।