यहां से हर तीसरे मिनट पर एक लोकल ट्रेन गुजरती है। बाहर से देखने पर यह रेलवे स्टेशन औरों की तरह ही दिखता है, लेकिन इसके परिसर में कदम रखते ही इसके अनोखेपन को कोई भी समझ सकता है। यह देश का पहला ऐसा स्टेशन है जहां का पूरा दायित्व महिलाएं संभाल रही हैं। जी हां हम बात कर रहे है मुंबई की जिसे देश की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है..मुंबई के सबसे व्यस्त समङो जाने वाले दादर स्टेशन से सटा माटुंगा स्टेशन है।34 महिलाओं का स्टॉफ यहां पर महिला सशक्तीकरण के रेलवे के सफल प्रयास की कहानी कह रहा है।
मध्य रेलवे के इस उपनगरीय स्टेशन को हाल ही में पूरी तरह से ‘महिला विशेष’ बना दिया गया है। स्टेशन प्रबंधक ममता कुलकर्णी के नेतृत्व में उनकी तीन सहायक अर्थात प्वाइंट पर्सन, 11 बुकिंग क्लर्क, सात टिकट निरीक्षक, पांच आरपीएफ स्टाफ सहित कुल 34 महिला कर्मचारी चौबीस घंटे स्टेशन की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। मध्य रेलवे ने यह कदम अपने महिला सशक्तीकरण अभियान के तहत उठाया है। मध्य रेलवे के महाप्रबंधक डीके शर्मा के अनुसार माटुंगा में कुछ स्टाफ पहले से महिलाओं का था।
पिछले माह पांच जून से यहां के पुरुष स्टाफ को हटाकर पूरा स्टेशन महिलाओं के हवाले कर दिया गया। यह निर्णय करते हुए मध्य रेलवे ने उसी अधिकारी पर भरोसा किया..माटुंगा के महिला विशेष स्टेशन बनने पर अपना अनुभव बयान करते हुए ममता कहती हैं कि मुंबई के स्टेशनों पर दुर्घटनाएं होना आम बात है। दुर्घटना होने पर पहले यह स्टाफ पटरी पर पड़े घायल या क्षत-विक्षत शव के नजदीक जाते घबराता था। अब तो दुर्घटना की सूचना मिलते ही वे स्ट्रेचर लेकर भागती हैं।