रुद्रपुर- रोटी, कपड़ा और मकान ये तीनों चीजें जिंदगी की बुनियादी जरूरतें हैं। आदमी शुरूआत में रोटी के मकसद से रोजगार करता है उसके बाद पहली पगार से अपने लिए लत्ते- कपड़े जोड़ता है और जब रोजगार में रम जाता है तो तिनका-तिनका जोड़कर एक हसीन मकान का ख्वाब सजाता है। ज्यादातर मंझौले और निम्न आय तबके का ये खूबसूरत ख्बाब नौकरी से रिटायरमेंट के दौरान ही पूरा हो पाता है।
लेकिन जमीन मकान के कारोबार से जुड़े कुछ कारोबारी आम आदमी को सब्जबाग दिखाकर लूट लेते हैं। कहते कुछ है दिखाते कुछ और पेशगी के तौर पर मोटी रकम ऐंठने के बाद पकड़ाते कुछ और ही हैं। कुछ ऐसा ही हुआ है रुद्रपुर की मैट्रोपोलिस सिटी में ‘वाह विला’ लेने वालों के साथ।
रुद्रपुर में आज अपनी गांठ का जोड़ा पैसा गंवाकर ‘वाह विला’ लेने वालों ने मेट्रोपोलिस सिटी के मालिक के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों आरोप है कि, ‘वाह विला’ के नाम पर उनके साथ धोखाधड़ी की गई है। अपने ‘वाह विला’ बेचते वक्त कारोबारी ने तमाम तरह के वादे किए थे लेकिन अब जब उन्होने ‘वाह विला’ को अपना ठिकाना बना लिया है तो बुकिंग की दफे किए गए कारोबारी के हर दावों की पोल खुल रही है।
रुद्रपुर की इस मेट्रोपोलिस सिटी के ‘वाह विला’ में न तो सफाई का इंतजाम है, न सफाई का इंतजाम है और न चाक चौबंद बिजली का इंतजाम है। प्रदर्शन कारियो का आरोप है कि उन्हें ठगा गया है उनके साथ बिल्डर्स ने धोखा किया है वादाखिलाफी की है। लिहाजा आज ‘वाह विला’ में फंस कर “आह” कर रहे लोगों ने बिल्डर्स के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर आपनी मांग पूरी करने की गुहार लगाई।
‘वाह विला’ में गांठ का पैसा लुटाकर उदास हुए लोगों को देकर ‘बशीर बद्र’ साहब की लिखी पंक्तियां याद आ जाती हैं-
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में, उन्हें तरस नही आता बस्तियां जलाने में