देहरादून। प्रदेश में प्रत्येक साल नशे की खेती में इजाफा हो रहा है। जिसे देखते हुए शासन भी अब सतर्क हो गया है। यह खेती उतराखंड की राजधानी देहरादून समेत तीन जिलों में धड़ले से हो रही है। इस मामले में शासन को लगातार सूचना मिल रही थी कि देहरादून के साथ ही उत्तरकाशी व टिहरी में नशीली वनस्पतियां उगाई जा रही हैं। इसके बाद इनकी तस्करी की जाती है। ऐसे में शासन ने इन तीनों जिलों में ड्रग उन्मूलन समिति गठित करने का निर्णय लिया है। यह समिति इस तरह की खेती को नष्ट करने और इन पर रोक लगाने का कार्य करेगी। उत्तराखंड व हिमाचल सीमा से सटे इलाके नशीली वनस्पति विशेषकर अफीम की खेती के लिए खासे बदनाम हैं। इन स्थानों पर कई बार विदेशी पर्यटक भी केवल नशे की खोज में ही पहुंचते हैं। यहां तक कि प्रदेश के युवा भी तेजी से इस नशे की चुंगल में फंस रहे हैं। कुछ समय पूर्व हिमाचल प्रदेश में नशे की खेती के उन्मूलन के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया गया था। इस दौरान हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह को पत्र लिखकर सीमांत क्षेत्रों में संयुक्त अभियान चलाने की इच्छा भी जताई थी। हालांकि, संयुक्त अभियान को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इतना जरूर है कि प्रदेश में बीते कुछ समय से लगातार नशे के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। पुलिस ने इसके लिए स्कूलों के आसपास के इलाकों में नशा बेचने पर पाबंदी लगाई हुई है। शासन को यह सूचना मिल रही थी कि देहरादून के हिमाचल से लगे सीमांत क्षेत्रों में नशीली वनस्पति की खेती हो रही है। इसी प्रकार इस सीमा से लगे उत्तरकाशी और टिहरी में भी यह खेती धड़ल्ले से की जा रही है। ऐसा नहीं है कि इस तरह की सूचना पहली बार शासन को मिली थी। पहले भी नशीली वनस्पति को नष्ट करने के लिए प्रदेश में अभियान चलाए जा चुके हैं लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते इन पर अंकुश नहीं लग पाया है। अब शासन ने फिलहाल इन तीन जिलों में ड्रग उन्मूलन समिति गठित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए प्रस्ताव भी तैयार हो चुका है। जल्द ही इसमें शासनादेश जारी होने की उम्मीद है।