नई दिल्ली : JNU में हॉस्टल की फीस बढ़ाए जाने से नाराज छात्र पिछले कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। इसको लेकर मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने कहा है कि 40 साल बाद JNU में फीस बढ़ाई गई है और यह नो-प्रॉफिट, नो-लॉस के आधार पर फैसला किया गया है। निशंक ने राज्यसभा में लिखित में यह जवाब दिया। इसके बाद एक बार फिर छात्रों का आंदोलन तेज हो सकता है।
उन्होंने ने कहा कि लंबे सयम से जेएनयू में फीस नहीं बढ़ाई गई, जबकि हॉस्टल मेंटिनेंस और अन्य खर्च बहुत बढ़ गए हैं। ऐसे में फीस बढ़ाना जरूरी हो गया था। उन्होंने कहा कि 40 साल बाद हॉस्टल की फीस बढ़ाई गई है। गौरतलब है कि एक दिन पहले ही मंत्रालय ने समिति को जेएनयू की फीस को अन्य विश्वविद्यालयों की फीस से तुलना करने का आदेश दिया है। मंत्रालय ने तीन सदस्यीय समिति को यह निर्देश दिया है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में सामान्य वर्ग के लिए 50 फीसदी की रियायत और बीपीएल छात्रों के लिए 75 फीसदी की रियायत की सिफारिश की है। विश्वविद्यालय ने दूसरी बार शुल्क वापसी का फैसला लिया हालांकि छात्रों ने इसे धोखा बताते हुए शुल्क वापसी को खारिज कर दिया। छात्र संघ ने कहा है कि 17 केंद्रों में छात्रों ने सेमेस्टर की परीक्षा का बहिष्कार करने का फैसला किया है। विश्वविद्यालय ने कहा है कि जो छात्र परीक्षा में शामिल नहीं होंगे, उन्हें छात्रवृत्ति नहीं दी जाएगी।