वही कैग ने कहा कि उस दौरान उत्तराखंड में निर्भया योजना को अमली जामा पहनाने में भी हील-हवाली बरती गई। आलम ये रहा है कि योजना के तहत राज्य को दो सालों में 1 करोड़ सात लाख की रकम मिली लेकिन उत्तराखंड सरकार के काबिल अधिकारी निर्भया योजना में सिर्फ 23 लाख रूपए का ही इस्तमाल कर पाए।
हाल ये रहा कि दो साल में महिला एवं बाल विकास विभाग निर्भया योजना को लागू करने के लिए जरूरी बुनियादी ढांचा तक नही बना पाया। जो साबित करता है कि निर्भया योजना से जिन पीड़ित महिलाओं को विभाग मदद दे सकता था, उन्हे महकमें की सुस्त चाल की वजह से उनका वाजिब हक नहीं मिला।
गजब की बात तो ये है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट निर्भया फंड पर केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए चेतावनी भी चुका है कि,’निर्भया फंड के दो हजार करोड़ रुपए सिर्फ दिखाने व रखने के लिए नहीं हैं। बल्कि फंड को डिस्ट्रिब्यूट करना जरूरी है। फंड बनाना काफी नहीं है।’