देहरादून : एनएच 74 घोटाले मामले मेें दो आईएएस अधिकारियों के सस्पेंड किए जाने के बाद सभी के मन में ये सवाल उठ रहा है कि जिस घोटाले में अभी तक प्रदेश के 22 अधिकारी सलाखों के पीछे चले गए हो और 2 आईएएस अधिकारी सस्पेंड हो गए हैं तो क्या उस घोटाले के तार नेशनल हाईवे अथॉरिटी आफ इंडिया के अधिकारियों से नहीं जुड़े हैं…और अगर नेशनल हाईवे अथॉरिटी आफ इंडिया के अधिकारी इतने ईमानदार है तो फिर क्यों 300 करोड़ रूपये से ज्यादा का भूमि घोटाला एनएच 74 में हो जाता है और नेशनल हाईवे अथॉरिटी आफ इंडिया के अधिकारी मौन रहते है। ये वो सबसे बड़ा सवाल जो उठ तो रहा है लेकिन इस सवाल का कोई जवाब ही नहीं देना चाहता है। यहां तक कि अपने अधिकारियों के बचाव में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया खुलकर सामने आ गया है।
क्या एसआईटी से डरी हुई है एनएचएआई
एनएच 74 घोटाले की जांच अब तक जिस तरिके से एसआईटी ने की है, उसमें कोई शक नहीं है कि अब तक की जांच बेहद पारदर्शी तरिके से हुई है. जिसके भय से कई किसानों ने जहां 2 करोड़ रूपये से ज्यादा की मुआवजा राशि वापस लौटा दी है तो वहीं 22 अधिकारी अब तक सलाखों के पीछे जा चुके हैं। वहीं दो आईएएस अधिकारी सस्पेंड किए गए है। एसआईटी की पारदर्शी जांच से लगता है कि एनएचएआई भी घबराई हुई है.
पत्र में कहा- अधिकारियों के इस मामले में कोई संलिप्तता नहीं
यहीं वहज है कि एसआईटी ने जब एनएचएआई के कुछ अधिकारियों की जांच के लिए अनुमति मांगी तो एनएचएआई ने उत्तराखंड शासन को पत्र भेजकर अपने अधिकरियों की जांच न करने की बात पत्र में कही. साथ ही पत्र में कहा कि उनके अधिकारियों के इस मामले में कोई संलिप्तता नहीं हैऔर उनके अधिकारियों की जांच का औचित्य नहीं है,उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने उत्पल कुमार सिंह ने भी ये बात कही है कि एनएचएआई की ओर से एक पत्र मिला है जिसमें एनएचएआई ने अपने अधिकारियों की संलिप्तता इस मामले में न होने की बात कही है।
एनएचएआई के अधिकारी भी दोषी
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एनएचएआई के करीब 4 अधिकारी एनएच 74 भूमि घोटाले मामले में दोषी हैं और इन्ही 4 अधिकारियों की जांच की मांग के लिए एसआईटी ने अनुमति एनएचएआई से मांगी थी…जो एसआईटी को मिली नहीं।
सबूत 4 अधिकारियों के खिलाफ SIT ने जुटाएं है वो सबूत एसआईटी कोर्ट के समक्ष रखेगी
लेकिन सूत्रों की मानें तो जो सबूत 4 अधिकारियों के खिलाफ एसआईटी ने जुटाएं है वो सबूत एसआईटी कोर्ट के समक्ष रखेगी, क्योंकि मामले की सुनवाई कोर्ट में भी चल रही है। कोर्ट में एसआईटी अपना ये पक्ष भी रख सकती है कि एनएचएआई के अधिकारियों की जांच के लिए उन्हे अनुमति नहीं मिली। कोर्ट में मामला होने के चलते हो सकता है कि कोर्ट के आदेश पर एनएचएआई के अधिकारियों की जांच हो। और इतना तय है कि जो भी लोग इस मामले में दोषी है और अभी उनकी जांच हुई नहीं है उनकी जांच कोर्ट के आदेश पर हो सकती है।