क्या हरिद्वार और आसपास के इलाकों में सूबे में होने वाले किसी बड़े सियासी उलटफेर की पटकथा लिखी जा रही है? ये सवाल इस समय राज्य के राजनीतिक गलियारे में तैर रहा है। दरअसल जिस तरह से बीजेपी के लक्सर से विधायक संजय गुप्ता ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के खिलाफ मोर्चा खोला उससे इस सवाल को हवा मिल गई। फिर बसपा से हाल में निष्कासित हुए मोहम्मद शहजाद का बीजेपी की ओर झुकाव और कैबिनेट मंत्री का शहजाद के घर सीएम त्रिवेंद्र रावत को ले जाना भी सियासत में कुछ अजीब ही हलचल पैदा कर गया है। ऐसे में बहुतेरे सवाल हैं जो लोगों के मन में उठ रहें हैं।
संजय गुप्ता इतने नाराज क्यों
लक्सर से बीजेपी के विधायक संजय गुप्ता की अपने इलाके में खासी पकड़ है। जनाधार वाले नेता संजय गुप्ता हरीश रावत के दौर में भी जीत कर आए थे। फिर संजय गुप्ता को कभी कांग्रेस के पांच सालों के दौरान इतनी नाराजगी नहीं हुई लेकिन अपनी ही पार्टी की सरकार के डेढ़ सालों के कार्यकाल में क्यों हो गई? फिर सियासी गलियारों की हलचलों पर नजर रखने वालों की माने तो संजय गुप्ता, हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक के खासे करीबी हैं। ऐसे में कहीं ऐसा तो नहीं कि संजय गुप्ता जितने नाराज थे नहीं उससे कहीं अधिक उन्होंने नाराजगी जताई। कहीं ऐसा तो नहीं कि नाराजगी व्यक्त करने के लिए संजय गुप्ता को कहा गया हो।
शहजाद का कंधा और बंदूक…
दरअसल मोहम्मद शहजाद एक समुदाय विशेष में गहरी पकड़ रखते हैं। मदन कौशिक और मोहम्मद शहजाद के बीच अच्छी केमेस्ट्री मानी जाती है। मोहम्मद शहजाद का मजबूत होना मदन कौशिक का मजबूत होना माना जाता है। वहीं संजय गुप्ता धुर हिंदुत्व वाली छवि के नेता के तौर पर उभर रहें हैं। विधानसभा चुनावों के दौरान उनके कुछ ऐसे बयान भी वायरल हुए थे। हालांकि हरिद्वार की अलग अलग विधानसभाओं में बीजेपी नेताओं के अब अलग अलग गुट साफ तौर पर नजर आ रहें हैं। मदन कौशिक जहां प्रभावशाही हो चुके हैं तो वहीं हरीश रावत को हराने वाले यतीश्वरानंद और दोबारा सीट निकालने वाले संजय गुप्ता पृष्ठभूमि में चले गए हैं। ऐसे में शहजाद के बहाने अलग अलग गुटों ने एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोला है। हालांकि इसमें सीएम रावत बिना बात के पिस गए।
भले ही पार्टी ने संजय गुप्ता को नोटिस थमा दिया हो लेकिन संजय गुप्ता के शुरुआती तेवरों ने साफ कर दिया है कि फिलहाल वो किसी समझौते के मूड में नहीं हैं। तभी तो उन्होंने ऐलानिया कहा कि पार्टी चाहे तो उन्हें निष्कासित कर दे। साफ है कि उन्हें ये अदावत कबूल है। वहीं इस मसले पर पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व भी सक्रिया हो गया है। खबरें हैं कि पार्टी आलाकमान ने विधायक के ऐसे बयान पर प्रदेश अध्यक्ष से रिपोर्ट भी मांगी है। फिलहाल इस सबके बीच ये साफ है कि सियासत का ये ‘बिरयानी चैप्टर’ आने वाले दिनों में कुछ और लज़ीज जरूर होगा।