देश में कोरोना को लेकर बरती जा रही सतर्कता के बीच अब उत्तराखंड में भी सरकारी मशीनरी सक्रिय हो गई है। उत्तराखंड में अब नए वैरिएंट पर नजर रखने के लिए तीन अन्य मेडिकल कॉलेजों में जीनोम सिक्वेंसिंग शुरु कराई जा रही है। जल्द ही तीन अन्य मेडिकल कॉलेजों में जीनोम सिक्वेंसिंग का काम शुरु हो जाएगा। यहां लैब स्थापित करने की तैयारी है। इसके लिए नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल दिल्ली से पंजीकरण की अनुमति मांगी गई है। अभी फिलहाल सिर्फ दून मेडिकल कॉलेज में ही जीनोम सिक्वेंसिंग की जांच हो रही है।
राज्य के मेडिकल कॉलेजों देहरादून, श्रीनगर, हल्द्वानी व अल्मोड़ा में प्रतिदिन 11 हजार से अधिक आरटीपीसीआर टेस्टिंग की क्षमता है जबकि इन मेडिकल कॉलेजों में स्थापित जीनोम सीक्वेंसिंग लैब में प्रतिमाह दो हजार से अधिक जीनोम सीक्वेसिंग की क्षमता है।
राज्य में कोरोना के हालात को संभालने के लिए सरकार ने वैक्सिनेशन और बूस्टर डोज पर भी फिर एक बार फोकस किया है। वैक्सीन लगवा चुके लोगों को बूस्टर डोज लगवाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। राज्य सरकार ने केंद्र से तीन लाख बूस्टर डोज की खुराक मांगी है।
इसके साथ ही अब राज्य के अस्पतालों में सर्दी, जुकाम, बुखार की शिकायत लेकर आने वाले मरीजों की आरटीपीसीआर जांच अनिवार्य कर दी गई है।
की तीसरी लहर के लिए सरकार ने चिकित्सा उपकरणों का इंतजाम किया था। वर्तमान में राज्य में कुल 22428 ऑक्सीजन सिलिंडर, 9743 आक्सीजन कॅन्सेनट्रेटर, 86 ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट चालू हालत में। इसके अलावा सरकारी अस्पतालों में 762 आईसीयू बेड, 8189 ऑक्सीजन सपोर्ट बेड, 1032 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं। 11 सरकारी पैथोलॉजी लैब में प्रतिदिन लगभग 15 हजार आरटीपीसीआर जांच की सुविधा उपलब्ध है।