देहरादून : एक बार फिर से पिथौरागढ़ जिले के कालापानी को लेकर नेपाल भारत के बीच विवाद बढ़ता नजर आ रहा है. नेपाल के प्रधानमंत्री ने कालापानी से भारत के सैनिकों को हटाने की बात कही. कालापानी को नेपाल के प्रधानमंत्री ने नेपाल का हिस्सा बताते हुए भारत पर कालापानी पर अतिक्रमण करने का आरोप लगाया.
भारत को जो हिस्सा है वह भारत का ही रहेगा-सीएम
वहीं नेपाल के प्रधानमंत्री के बयान पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। सीएम ने कहा कि कालापानी को लेकर जो बाते नेपाल के प्रधानमंत्री द्वारा कही जा रही है वह चिंता जनक है। सीएम ने कहा कि भारत को जो हिस्सा है वह भारत का ही रहेगा साथ ही जो बातें उठ रही है उन्हें बातचीत के माध्यम से हल कर लिया जाएगा।
नेपाल भारत का मित्र राष्ट्र है-सीएम
सीएम ने कहा कि नेपाल भारत का मित्र राष्ट्र है इसलिए बातचीत से मसला हल किया जा सकता है। सीएम ने नेपाल की कार्य संस्कृति पर भी सवाल उठाया और कहा कि नेपाल की कार्य संस्कृति इस तरह की नहीं है वह इस तरह से बात करें।
‘कालापानी’ क्षेत्र को भारतीय क्षेत्र में दिखाए जाने पर जताया था सख्त एतराज
गौप हो कि नेपाल ने ‘कालापानी’ क्षेत्र को भारतीय क्षेत्र में दिखाए जाने पर सख्त एतराज जताया था. नेपाल के विदेश मंत्रालय ने बीते महीने एक बयान में ‘कालापानी’ को नेपाल का अभिन्न अंग बताया. मीडिया को जारी बयान में नेपाल सरकार ने कहा था कि दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के स्तर वाली नेपाल-भारत साझा आयोग की बैठक में अनसुलझे सीमा विवाद का समाधान ढूंढने की जिम्मेदारी दोनों देशों के विदेश सचिवों पर छोड़ी गई.
भारत सरकार का कोई भी फैसला मंजूर नहीं
नेपाल ने साफ किया कि बिना आपसी सहमति के भारत सरकार की ओर से लिया गया कोई भी फैसला उसे मंज़ूर नहीं है. बयान में कहा गया, ‘सीमा को लेकर लंबित मुद्दों को द्विपक्षीय सहमति से सुलझाया जाना चाहिए और कोई भी इकतरफा कार्रवाई नेपाल सरकार को अस्वीकार्य होगी.’