देहरादून : हाईकोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण हटाओ अभियान की मार नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के सरकारी आवास पर भी पड़ी। वहीं, कई स्थानों पर अधिकारियों ने खुद ही अपने अतिक्रमण हटा दिए। जिसमें मुख्य सचिव उत्पल कुमार और सूचना महानिदेशक पांडे भी शामिल हैं.
नेता प्रतिपक्ष की कोठी की बाउंड्री का आधा हिस्सा ध्वस्त किया गया
दून में अतिक्रमण के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है। वीआइपी इलाके न्यू कैंट रोड से लेकर पॉश कॉलोनी कालीदास रोड तक जेसीबी से कई बड़े अतिक्रमण ध्वस्त किए गए। यहां 17बी न्यू कैंट रोड पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश के सरकारी आवास भी अतिक्रमण की जद में आ गया। यहां प्रशासन की जेसीबी ने आवास के मुख्य गेट से लगे अतिक्रमण को ध्वस्त किया।
न्यू कैंट से कालीदास-रायपुर से लाडपुर तक करीब 270 अतिक्रमण जेसीबी से ध्वस्त किए गए
वहीं न्यू कैंट से कालीदास और रायपुर से लाडपुर तक करीब 270 अतिक्रमण जेसीबी से ध्वस्त किए गए। वहीं एमडीडीए ने आवासीय घरों में व्यवसायिक गतिविधि चलाने पर 11 प्रतिष्ठान सील किए।ध्वस्तीकरण के दौरान सिटी मजिस्ट्रेट मनुज गोयल और एसडीएम मसूरी मौके पर डटे रहे। रायपुर रोड पर सहस्रधारा क्रॉसिंग से लेकर लाडपुर तक 149 अतिक्रमण ध्वस्त किए गए। यहां 40 से ज्यादा दुकानें और बड़े अतिक्रमण पर कार्रवाई की गई।
प्रकाश पंत की कोठी छोड़ दी
न्यू कैंट रोड में नेता प्रतिपक्ष की सरकारी कोठी से कुछ ही दूरी पर कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत की भी सरकारी कोठी है। उनकी कोठी का भी कुछ हिस्सा बाहर नाली और सड़क तक फैला हुआ है। लेकिन, इस कोठी पर अतिक्रमण चिह्नित नहीं किया गया। हालांकि अफसरों ने इसकी जानकारी होने से इन्कार किया है।
अतिक्रमण की जद में रायपुर थाना
डालनवाला थाने के बाद रायपुर थाना भी अतिक्रमण की जद में आ गया है। सोमवार को अतिक्रमण हटाओ दस्ते ने रायपुर थाने की बाउंड्रीवाल ध्वस्त कर दी। इसके अलावा थाने से लगे आवासीय परिसर पर भी लाल निशान लगाए हैं। आवासीय परिसर की बाउंड्री का भी कुछ हिस्सा तोड़ा गया।
मुख्य सचिव ने सरकारी आवास से खुद हटवाया अतिक्रमण
हाईकोर्ट के आदेश पर चल रहे अतिक्रमण हटाओ के तहत मुख्य सचिव के सरकारी आवास की चहारदीवारी अतिक्रमण के तहत चिह्नित की गई थी। सोमवार को मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने अपने सरकारी आवास से चिह्नित अतिक्रमण को स्वयं हटवा दिया। मुख्य सचिव की इस पहल से अतिक्रमण हटाओ अभियान को बल मिला है। वहीं अतिक्रमणकारियों के विरोध के स्वर धीमे बढ़ सकते हैं।