गोपेश्वर- नंदा लोक जात मेले से पूर्व कुरूड़ में आयोजित तीन दिवसीय मेला शुक्रवार को रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ संपन्न हो गया। इसके साथ नंदा की दोनों डोलियों को भी हिमालय के लिए विदा कर दिया गया। समापन के अवसर पर ग्रामीण महिलाओं ने चाचंडी, झूमैलों, लोक नृत्य और लोक गीतों से खूब समां बांधा। वहीं बधाणी लोक कला मंच के कलाकारों ने भी नंदा के गीतों से नंदा के इतिहास के बारे में जानकारी दी ।
कार्यक्रम के बाद मंदिर प्रागंण में रखी श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए नंदा की दोनों डोलियों की पूजा पूजा-अर्चना के बाद हिमालय के लिए विदा कर दिया गया । इस मौके पर महिलाएं मांगल गीतों के साथ नंदा को विदा करते समय फफक-फफक कर रो रही थी। नंदा की विदाई का यह समय बड़ा ही मार्मिक था। हर किसी कि आंखें नंदा की विदाई पर नम थी।
इस तरह जायेंगी हिमालय की ओर देवी की डोलियां
नंदा की दो डोलियां कुरूड़ सिद्धपीठ से प्रागंण में पहुंची। दशोली और बधाण की नंदा की डोलियां अलग-अलग स्थानों से होते हुए हिमालय पंहुचेंगी।