नैनीताल-हाईकोर्ट ने प्रदेश के जिलाधिकारियों को पॉलीथिन की बिक्री व उपयोग की जांच के लिए विशेष जांच अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही सरकार को पॉलीथिन के खिलाफ की जा रही पहल को लेकर एक सप्ताह में जवाब देने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई 14 सितंबर को तय की है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की संयुक्त खंडपीठ ने शुक्रवार को यह आदेश जारी किए। अदालत ने कहा है कि पॉलीथिन प्रदेश के पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। इसके इको सिस्टम यानि पारिस्थितिकी के लिए भी खतरा बन रहा है। पॉलीथिन से नदी के प्रवाह तक प्रभावित हो रहे हैं। जमीन की उर्वराशक्ति भी प्रभावित हो रही है साथ ही नालियों की निकासी पर भी इसका असर हो रहा है।और मवेशी बीमार हो रहे हैं। अदालत ने पॉलीथिन को लेकर अपने पूर्व आदेशों का पालन सुनिश्चित करने को की गई पहल की जानकारी मांगी है। साथ ही शासन को इस मामले में मुख्यमंत्री की पहल की भी जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
कोर्ट ने दिए जिलाधिकारियों को निर्देश
कोर्ट ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को पॉलीथिन की बिक्री व उपयोग के खिलाफ विशेष जांच अभियान चलाने के भी निर्देश दिए हैं। शासन से एक सप्ताह में जवाब मांगा है और अगली सुनवाई 14 सितंबर को तय की है।
रोजाना निकलता है 272 टन प्लास्टिक कूड़ा
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सर्वे के अनुसार प्रदेश के निकायों में वर्तमान में करीब 1601 टन प्रतिदिन के हिसाब से कचरा (ठोस अपशिष्ट) पैदा हो रहा है, जिसमें करीब 272 टन प्लास्टिक कचरा है। वर्ष 2041 तक यह आंकड़ा 457.63 टन तक पहुंच जाएगा। देहरादून में सर्वाधिक 55.74 टन प्लास्टिक कचरा प्रतिदिन पैदा हो रहा है।