देहरादून,संवाददाता- सरकार के प्रयासों के बावजूद भी आबादी का एक हिस्सा अभी भी स्वास्थ्य सेवाओं व दूसरी सहूलियतों से महरूम हैं। इस सच को राज्य सरकार ईमानदारी के साथ चुनावी साल में स्वीकार कर चुकी है। राज्य के पहाड़ी इलाकों में जनता को बेहतर चिकित्सा सेवा मुहैय्या करवाना एक टेडी खीर साबित हो रहा है। जितने डाक्टरों की जरूरत पहाड़ी इलाकों को है सरकार उतने डाक्टर मुहैय्या नही करा पा रही है। इस सच का जिक्र राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने देहरादून मे आयोजित स्वास्थ्य शिविर के उदघाटन के दौरान किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि इसका तोडृ सरकार ने मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के रूप में निकाला है। ताकि जनता को बेहतर ईलाज के लिए तरसना न पड़े। सीएम ने कहा कि पहाडी इलाके की दिक्कतों को समझते हुए सरकार ने राज्य की जनता को 1 लाख 75 हजार रूपए तक का स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया गया है। जिसके जरिए मरीज अपना इलाज सक्षम अस्पताल में करवा सकते हैं सरकार का कहना है कि अगर रोग गंभीर है और ईलाज के लिए ज्यादा धनराशि की जरूरत है तो सरकार राज्य व्याधि निधि योजना से जरूरतमंद की मदद करेगी। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर 16 साल में भी कोई सरकार इसका जवाब क्यों नहीं खोज पाई कि, धरती के भगवान पहाड़ों में आबाद आबादी को अपना वरदान देने में क्यों हिचकते हैं।