
रामनगर : आजकल इंसानों में इंसानियत खत्म हो रही है, इंसान अपने नाते-रिश्तेदारों को भूलते जा रहा है यह तो अक्सर सुनने को मिलता है, लेकिन बुधवार को रामनगर के कोतवाली में एक मां के आंसुओं ने यह भी साबित करवा दिया कि अपना खून भी अपना नहीं रहा। यह वही मां थी जिसने उन बेटियों के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया, उन्हें अच्छा खाना खिलाया से लेकर अच्छे कपड़े दिए और उनकी हर ख्वाहिश को पूरा करने की कोशिश की, उनकी शादी की, लेकिन उन्हीं बेटियों को आज यह बूढ़ी मां बेकार लगने लग गई।
उस मां के शरीर में आज इतनी ताकत नहीं है कि वह खुद खाना बनाकर खा सके, मजदूरी कर सके। आज उसे आराम की जरूरत है, सहारे की जरूरत है, लेकिन उसे क्या पता था मेरे बच्चे ही मुझसे एक दिन घृणा करने लगेंगे, मेरी बेटी मेरा फोन उठाना बंद कर देगी।
बुधवार को कोतवाली में रानीखेत निवासी सरस्वती देवी 80 पत्नी टीका राम ने बताया कि उसकी चार बेटियां है। उसका कोई बेटा नहीं है। बेटियों की शादी रानीखेत, दिल्ली, चंडीगढ़ हुई हैं। मंगलवार को सरस्वती हिम्मतपुर गांव में रहने वाले अपने भतीजे के घर आई, लेकिन भतीजे ने पारिवारिक वजह से वृद्धा को घर से जाने के लिए कह दिया। पहले भी वृद्धा भतीजे के यहां रह चुकी थी। इसके बाद वृद्धा अपनी दिल्ली में रहने वाली बेटी के घर जाने की सोचने लगी। उसने फोन लगवाया, लेकिन बेटी ने फोन नहीं उठाया। बेटी के फोन नहीं उठाने के बाद भतीजे ने भी जाने के लिए कह दिया और वह बूढ़ी मां बाजार में दर दर भटकने के लिए मजबूर हो गई।
कोतवाल ने दिखाई इंसानियत, अपनी कार से भेजा रानीखेत
बाजार में एक बूढ़ी मां की भटकने की सूचना जैसे ही कोतवाल विक्रम राठौर को मिली तो वह उसे कोतवाली ले आए। पूछताछ में वृद्धा ने बताया कि बेटियां उसे अपने साथ नहीं रखना चाहती है। इसी कारण वह हिम्मतपुर आई थी, लेकिन यहां भी उसे नहीं रखा। कोतवाल ने वृद्धा की रानीखेत में रहने वाली बेटी शांति को फोन करके समझाया। इसके बाद कोतवाल ने अपनी कार में वृद्धा को एक सिपाही के साथ रानीखेत भेजा। कोतवाल ने बताया कि वृद्धा को बेटियां नहीं रखना चाह रही थी।