सपन यूनिट 40 आरआर में तैनात थे
दरअसल हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के सैनिक सपन चौधरी की पुंछ में हिमस्खलन में जान चली गई औऱ वो शहीद हो गए. आपको बता दें कि इस दौरान सपन यूनिट 40 आरआर में तैनात थे और गश्त पर निकले थे.
मां ने फौजी टोपी पहनकर दी बेटे को सलामी
आपको बता दें कि सपन का पार्थिव शरीर उसके पैतृक गांव में लाया गया. जैसे ही पार्थिव देह उनके पैतृक गांव पहुंचा तो मां स्वर्णा देवी खुद सड़क पर पहुंच गईं। करीब 11 बजे वे फौजी टोपी पहनकर शहीद बेटे की अर्थी के आगे-आगे एक किलोमीटर पैदल श्मशानघाट तक गईं और बेटे को सैल्यूट मारकर अंतिम विदाई दी। मां के जज्बे को देख साथ आए सैन्य अधिकारी और जवान भी आंसू नहीं रोक पाए। मां ने औरों के साथ भारत माता की जय के नारे भी लगाए। जहां राजकीय सम्मान के शहीद का अंतिम संस्कार किया गया.
चचेरी बहन की शादी में आने वाले थे घर
आपको बता दें कि शहीद जलवान तीन महीने पहले छुट्टी काटकर ड्यूटी पर लौटे सपन को अब चचेरी बहन की शादी में आना था, लेकिन इससे पहले एक भाई का वादा गुरुवार को उस वक्त टूट गया, जब गश्त पर निकले सपन चौधरी की हिमस्खलन में जान चली गई।
18 साल की उम्र में वह भी सेना में भर्ती हो गए थे सपन
उपमंडल फतेहपुर की पंचायत सिहाल के सपन चौधरी एक सैनिक परिवार से आते थे। उनके पिता बीर सिंह और बड़ा भाई भरत भूषण सेना से सेवानिवृत्त हैं। मैट्रिक तक की शिक्षा आदर्श स्कूल चाट्टा में करने के बाद 18 साल की उम्र में वह भी सेना में भर्ती हो गए। बाद में शादी हो गई।माता स्वर्णा देवी और पत्नी ललिता गृहिणी हैं। दो बेटे (बड़ा बेटा पांच वर्षीय सार्थक और छोटा मनीष महज पंद्रह माह का) भी हैं। परिजनों और गांववासियों ने बताया कि सितंबर में ही सपन छुट्टी काटकर ड्यूटी पर वापस लौटे थे। अब मार्च में उसकी चचेरी बहन की शादी होनी तय हो चुकी है। सपन ने भी बहन की शादी में आने की बात कही थी।
पंचायत के पूर्व प्रधान मेहर सिंह के मुताबिक उन्हें सपन की यूनिट 40 आरआर से फोन आया कि सपन एक अन्य साथी के साथ गश्त पर निकले थे। पुंछ में हिमस्खलन की चपेट में आ गए। बाद में उन्हें कड़ी मशक्कत के बाद बर्फ से निकाला। जब दोनों को बाहर निकाला गया तो उनकी सांसें चल थी, लेकिन थोड़ी ही देर में सपन ने दम तोड़ दिया।