हल्द्वानी- नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने सूबे की सरकार को आईएसबीटी निर्माण पर फैसला लेने के लिये एक महीने का वक्त दिया था। तब उन्होने कहा था कि समय गुजर जाने के बाद सरकार को विरोध का सामना करना पड़ेगा।
ISBTको इंदिरा ने हल्द्वानी की सबसे बड़ी जरूत बताया था। अपनी सरकार के जमाने में तो इंदिरा ने गोलापार इसके लिए भूमि का चयन भी किया था और भूमि पूजन कर काम भी शुरू करवा दिया था।
लेकिन सूबे में भाजपा सरकार बनने के बाद जमीन से मिले कंकाल के बहाने गौलापार आईएसबीटी का निर्माण रुकवा दिया गया। खैर आज विपक्ष की ओर से दी गई 1 महीने की मोहलत खत्म हो गई है।
लिहाजा अपने पूर्व ऐलान पर अटल रहते हुए इंदिरा हृदयेश ने 30 जनवरी के उपवास की तैयारी कर ली है। इंदिरा हृदयेश गौलापार निर्माणाधीन आईएसबीटी की भूमि पर करीब 10 हजार लोगों के साथ एक दिन के उपवास पर बैठेंगी।
इंदिरा हृदयेश का कहना है की सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ उनका एक दिन का उपवास है जिसमे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, कई विधायको सहित पूरे प्रदेश से कांग्रेसी कार्यकर्ता पहुंच रहे है।
वहीं उन्होंने कहा कि सरकार हल्द्वानी में आईएसबीटी के निर्माण के लिए तीन पानी के पास जिस जमीन की वकालत कर रही है वो मण्डी समिति के विस्तारीकरण के लिये है। लिहाजा किसान हित की जमीन पर आईएसबीटी का निर्माण का विरोध किया जाएगा।